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मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य

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Mental Health in Hindi (मेंटल हेल्‍थ), Mansik Swasthya in Hindi (मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य): किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही बहुत जरूरी हैं। अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ है लेकिन उसका मानसिक स्वास्थ्य खराब है तो उसे अपने जीवन में कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। मानसिक स्वास्थ्य से एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, उसके भीतर आत्मविश्वास आता कि वे जीवन में तनाव से सामना कर सकता है और अपने काम या कार्यों से अपने समुदाय के विकास में योगदान दे सकता है। मानसिक विकार व्यक्ति के स्वास्थ्य-संबंधी व्यवहार, फैसले, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, सुरक्षित यौन व्यवहार आदि को प्रभावित करता है और शारीरिक रोगों के खतरे को बढ़ाता है। मानसिक अस्वस्थता के कारण ही व्यक्ति को बेरोजगार, बिखरे हुए परिवार, गरीबी, नशीले पदार्थों का सेवन और संबंधित अपराध का सहभागी बनना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य सही रहेगा तो उसका जीवन भी सही रहेगा। इसलिए हम आपको अपने इस खंड में मानसिक विकारों से जुड़ें हर पहलू के बारे में विस्तार से बताएंगे, जो आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेगा। पर आइए सबसे पहले जान लेते हैं, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

मानसिक बीमारियों का कारण - Causes of Mental Illness

मानसिक स्वास्थ्य में हमारे भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण (emotional, psychological, and social well-being) शामिल हैं। यह प्रभावित करता है कि हम कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और कार्य करते हैं। आपका मानसिक स्वास्थ्य उम्र बढ़ने के साथ बदलता चला जाता है।  अपने जीवन के दौरान, अगर आप मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करते हैं तो इसके बारें में जानना, डॉक्टर की मदद लेना और इलाज करवाना बेहद जरूरी है क्योंकि ये आपकी सोच, मनोदशा और व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे कई अन्य कारण भी हैं, जो कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • -जैविक कारक (Biological factors), जैसे कि जीन या मस्तिष्क रसायन 
  • -मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का पारिवारिक इतिहास (Family history of mental health problems)
  • -जीवन के अनुभव, जैसे आघात या तकलीफ (Life experiences, such as trauma or abuse)
  • -जीवन में अवसाद रूपी वातावरण के कारण (Depressive Environment)
  • -बचपन का आघात लगने के कारण (Childhood trauma)
  • -तनावपूर्ण घटनाएं जैसे किसी प्रियजन को खोने के कारण (Stressful events of life)
  • -नकारात्मक विचारों के बढ़ने के कारण (Negative thoughts)
  • - अनहेल्दी आदतों जैसे कि पर्याप्त नींद न लेना या खराब खान-पान की वजह से (unhealthy lifestyle)
  • - ड्रग्स और अल्कोहल का दुरुपयोग से( Abusing drugs and alcohol)
  • -एक लंबी बीमारी के उपचार के बाद (treatment with a chronic disease)

मानसिक बीमारी के लक्षण -  Symptoms of Mental Illness

प्रत्येक मानसिक बीमारी के अपने-अपने लक्षण होते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य चेतावनी संकेत या लक्षण हैं जो आपको सचेत कर सकते हैं कि आपको किसी को पेशेवर मदद की आवश्यकता है। जैसे कि 

  • -ज्यादा सोचना (Over thinking)
  • -एंग्जायटी और घबराहट (Anxiety)
  • - व्यक्तित्व परिवर्तन (marked personality change)
  • --खाने या सोने के पैटर्न में बदलाव (changes in eating or sleeping patterns)
  • -समस्याओं और दैनिक गतिविधियों को करने में असमर्थता (inability to cope with problems and daily activities)
  • -ज्यादा चिंता करना (excessive anxieties)
  • -लंबे समय तक अवसाद और उदासीनता (prolonged depression and apathy)
  • - ज्यादा गुस्सा करना या हिंसक व्यवहार करना (excessive anger or violent behavior)
  • -आत्महत्या के बारे में सोचना या खुद को नुकसान पहुंचाना (thinking or talking about suicide)
  • -बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स होना (extreme mood swings)
  • -शराब या ड्रग्स का दुरुपयोग (abuse of alcohol or drugs)

मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियां -Mental Health Disorders

1. एंग्जायटी डिसऑर्डर (anxiety disorders).

एंग्जायटी डिसऑर्डर (Anxiety Disorders) मानसिक बीमारी का सबसे आम प्रकार है। इन स्थितियों वाले लोगों में गंभीर भय या चिंता होती है, जो कुछ वस्तुओं या स्थितियों से संबंधित होती है।  एंग्जायटी डिसऑर्डर के प्रकार (Types of Anxiety Disorders) भी हैं, जैसे कि 

a. सामान्यीकृत चिंता विकार (Generalized anxiety disorder)

सामान्यीकृत चिंता विकार में लगातार और अत्यधिक चिंता शामिल होती है जो दैनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करती है। यह चल रही चिंता और तनाव शारीरिक लक्षणों के साथ हो सकता है, जैसे कि बेचैनी, किनारे पर महसूस करना या आसानी से थकावट, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, मांसपेशियों में तनाव या नींद की समस्या। 

b. घबराहट की समस्या (Panic Disorder)

पैनिक डिसऑर्डर का मुख्य लक्षण बार-बार होने वाले पैनिक अटैक, शारीरिक और मनोवैज्ञानिक संकट का एक जबरदस्त संयोजन है। इसके कई लक्षण हैं जैसे कि 

  • -तेज दिल की धड़कन
  • -थरथर कांपना या हिलाना
  • -सांस की तकलीफ महसूस करना 
  • -छाती में दर्द
  • -चक्कर आना, हल्का-फुल्का या बेहोश होना
  • -घुटन का अहसास
  • -स्तब्ध हो जाना या झुनझुनी
  • -ठंड लगना 
  • -मतली या पेट में दर्द
  • -मरने का डर

c. फोबिया (Phobias)

फोबिया एक विशिष्ट वस्तु, स्थिति या गतिविधि का अत्यधिक और लगातार भय है जो आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है। मरीजों को पता है कि उनका डर अत्यधिक है, लेकिन वे इसे दूर नहीं कर सकते। 

d. भीड़ से डर लगना (Agoraphobia)

एगोराफोबिया उन स्थितियों में होने का डर है जहां से बचना मुश्किल या शर्मनाक हो सकता है। ये डर वास्तविक स्थिति बहुत परेशान करता है और कामकाज में समस्याएं पैदा करता है। एग्रोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति इस डर का अनुभव कई स्थितियों में करता है। जैसे कि

  • -सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना
  • -खुले स्थानों में होने पर
  • - भीड़ वाले स्थानों में होना
  • -लाइन में खड़ा होने पर
  • -घर के बाहर अकेले रहने पर

e. सोशल एंग्जायटी डिसऑर्डर (Social Anxiety Disorder)

सामाजिक चिंता विकार वाले व्यक्ति को शर्मिंदगी, अपमानित, अस्वीकार किए जाने या सामाजिक संबंधों में कमी देखने के बारे में ज्यादा चिंता और असुविधा होती है। इस विकार वाले लोग स्थिति से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जानें,  बोलने, नए लोगों से मिलने और सार्वजनिक रूप से खाने पीने से अत्यधिक डरते हैं। 

f. अलगाव की चिंता (Separation Anxiety Disorder)

अलगाव चिंता विकार वाले लोगों को अपने लोगों से बिछड़ने का डर रहता है। ऐसे लोग घर से बाहर जाने या उस व्यक्ति के बिना बाहर जाने से इनकार कर सकते है, या अलगाव के बारे में बुरे सपने का अनुभव कर सकते हैं। ये परेशानी बचपन में विकसित होते हैं, लेकिन लक्षण वयस्क होने के बाद भी रह सकते हैं।

2. मूड डिसऑर्डर  (Mood disorders)

मूड डिसऑर्डर को भी भावात्मक विकारों या अवसादग्रस्तता विकारों के रूप में संदर्भित किया जा सकता है। इन स्थितियों वाले लोगों के मनोदशा में बहुत जल्दी बदलाव आता रहता है। इसके भी कई प्रकार होते हैं, जैसे कि 

a. मेजर डिप्रेशन (Major depression)

इस अवसाद के साथ एक व्यक्ति लगातार लो फिल करता है और उसका मूड हमेशा खराब रहता है और उन गतिविधियों और घटनाओं में रुचि खो देता है जो पहले से आनंद लेते थे। वे लंबे समय तक निराश या अत्यधिक उदास महसूस करता है।

b. बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder)

बाइपोलर डिसऑर्डर या द्विध्रुवी विकार वाला व्यक्ति अपने मनोदशा, ऊर्जा के स्तर, गतिविधि के स्तर और दैनिक जीवन को जारी रखने की क्षमता में असामान्य परिवर्तन का अनुभव करता है। अच्छा महसूस करने पर वो बहुत ज्यादा एनर्जेटिक हो जाते हैं, जबकि लो मूड होने पर अवसाद में चले जाते हैं। 

c. मौसमी भावात्मक विकार (Seasonal affective disorder )

सर्दियों और शुरुआती वसंत महीनों के दौरान जब दिन का छोटा होता है या ज्यादा अंधेरा होता है, तो ये कुछ लोगों को डिप्रेशन में डाल सकता है। ऐसे लोगों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है एक बेहतर लाइटिंग या सूर्य की रोशनी वाले कमर में रहना। 

3. सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia disorders)

सिजोफ्रेनिया एक या कई मानसिक बीमारियों का एक समूह है जिसे समझना काफी मुश्किल है।  सिजोफ्रेनिया के लक्षण आमतौर पर 16 से 30 साल की उम्र के बीच विकसित होते हैं। ऐसे व्यक्ति के विचार कई बार टूटे हुए और खोए हुए से होते हैं। ये लोग उन चीजों को भी अपने आस पास महसूस करते हैं, जो कि सच में दुनिया में है ही नहीं।  सिजोफ्रेनिया के नकारात्मक और सकारात्मक लक्षण हैं। सकारात्मक लक्षणों में भ्रम, विचार विकार और मतिभ्रम शामिल हैं। नकारात्मक लक्षणों में प्रेरणा की कमी और खराब मनोदशा शामिल हैं।

मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उपाय- Tips for good mental health

  • -दूसरों से जुड़े रहें और अपने आप को अलग न समझें।
  • -पॉजिटिव सोचें
  • -शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
  • -दूसरों की मदद करते रहें।
  • -पर्याप्त नींद लें और समय पर सोएं और समय से जागें
  • -हेल्दी डाइट लें खास कर मूड को बेहतर बनाने वाली चीजों को खाएं।
  • -शराब, धूम्रपान और ड्रग्स से बचें। 
  • -खूब धूप लें। 
  • -तनाव ज्यादा न लें।
  • -बहुत ज्यादा सोचना बंद करें।
  • -एक्सरसाइज और योग करें।
  • -ऐसा कुछ करें जिससे आपका मन लगा रहे और आप खुश रहें। 
  • - मिलनसार बनें।

इस तरह आप मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सभी परेशानियों,  बीमारियों, उनके लक्षण, उपचार और बचाव के लिए एक्सपर्ट टिप्स और जानकारियां यहां पा सकते हैं। तो पढ़ते रहें ऑनली माय हेल्थ का ये खंड 'मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य -Mental health in hindi' और अपने मानसिक स्वास्थ्य का रखें खास ख्याल। 

Source: American Psychiatric Association

WHO and CDC 

https://www.ncbi.nlm.nih.go

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Mental Health : क्यों आवश्यक है मानसिक स्वास्थ्य और कैसे करें इसकी देखभाल?

essay on mental health in hindi

  • Updated on  
  • सितम्बर 26, 2024

essay on mental health in hindi

मानसिक स्वास्थ्य हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो हमारी भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को प्रभावित करता है। जैसे शारीरिक स्वास्थ्य हमारे शरीर के लिए जरूरी है, वैसे ही मानसिक स्वास्थ्य हमारे मन और मस्तिष्क के लिए आवश्यक है। एक अच्छा मानसिक स्वास्थ्य न केवल हमें खुशहाल और संतुलित जीवन जीने में मदद करता है, बल्कि चुनौतियों और तनावों का सामना करने की क्षमता भी प्रदान करता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health in Hindi) क्यों आवश्यक है और इसे बेहतर बनाए रखने के लिए हम क्या-क्या उपाय कर सकते हैं।

This Blog Includes:

मेंटल हेल्थ क्या है, मेंटल हेल्थ क्यों आवश्यक है, बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण, मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाएं, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा मेंटल हेल्थ प्रोग्राम्स  , मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कुछ तथ्य .

मेंटल हेल्थ (Mental Health in Hindi) किसी के विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को आकार देने, तनाव से निपटने, सार्थक रिश्तों को बनाए रखने, अच्छे निर्णय लेने में सहायता करता है। यह जीवन में पूर्णता की भावना प्राप्त करने की उनकी क्षमता को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अच्छे मानसिक स्वास्थ्य में भावनात्मक संतुलन, प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति साइकोलॉजिकल फ्लेक्सिबिलिटी, चुनौतियों को पहचानने और उनका समाधान करने के लिए आत्म-जागरूकता और पॉजिटिव इमेज बनाए रखते हुए जीवन की कम्प्लेक्सिटी से निपटने की क्षमता रखता है। ओवरॉल एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए मेंटल हेल्थ का होना बहुत महत्वपूर्ण है।

यह भी पढ़ें : मानसिक स्वास्थ्य पर निबंध

आइए जानते हैं कि हमारे लिए मेंटल हेल्थ (Mental Health in Hindi) क्यों आवश्यक है-

  • ओवरऑल वेल्बीइंग: अच्छा मानसिक स्वास्थ्य जीवन में संतुष्टि, खुशी और पूर्णता की भावना में योगदान देता है, जिससे व्यक्ति अपने अनुभवों और रिश्तों का अधिक आनंद ले सकते हैं।
  • फिजिकल हेल्थ: मेंटल हेल्थ का फिजिकल हेल्थ से गहरा संबंध है। तनाव, चिंता और अवसाद शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे हृदय रोग, मोटापा और कमजोर इम्यून फंक्शन जैसी विभिन्न शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
  • प्रोडक्टिविटी: मेंटल हेल्थ किसी व्यक्ति की काम करने की क्षमता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। जब मानसिक स्वास्थ्य खराब होता है, तो एकाग्रता, समस्या सुलझाने की क्षमता और कार्य प्रदर्शन प्रभावित हो सकता है।
  • रिश्ते: दूसरों के साथ पॉजिटिव रिलेशन्स बनाने और मैंटेन करने के लिए स्वस्थ मेंटल हेल्थ आवश्यक है। यह व्यक्तियों को प्रभावी ढंग से संवाद करने, सहानुभूति दिखाने और दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों के साथ सार्थक संबंध स्थापित करने की अनुमति देता है।
  • फ्लेक्सिबिलिटी: मेंटल हेल्थ व्यक्ति के फ्लेक्सिबल, लाइफ के चैलेंजेस, असफलताओं और प्रतिकूलताओं से निपटने की क्षमता में योगदान देता है।  अच्छे मेंटल हेल्थ वाले लोग कठिन परिस्थितियों से उबरने और बदलाव के अनुकूल ढलने के लिए बेहतर ढंग से तैयार होते हैं।
  • जीवन की गुणवत्ता: अच्छा मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति के जीवन की ओवरॉल क्वालिटी को बढ़ाता है। यह व्यक्तियों को उन गतिविधियों में शामिल होने में सक्षम बनाता है जिनका वे आनंद लेते हैं, अपने लक्ष्यों का पीछा करते हैं, और उद्देश्य और संतुष्टि की भावना का अनुभव करते हैं।
  • रोकथाम: मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देने से मानसिक विकारों के विकास या मौजूदा स्थितियों के बिगड़ने को रोकने में मदद मिल सकती है। मेंटल हेल्थ रिलेटेड प्रॉब्लम्स के शुरुआती हस्तक्षेप और प्रभावी मैनेजमेंट से बेहतर परिणाम और दीर्घकालिक पूर्वानुमान में सुधार हो सकता है।

बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण निम्न प्रकार से हैं:

  • दुखभरी भावनाएं: व्यक्ति के बार-बार उदास और दुखी होने से उसके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
  • अधिक तनाव और चिंता: अत्यधिक तनाव और चिंता की स्थितियों में रहना, जिससे नींद की समस्याएं और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया जा सकता है।
  • सोशल आइसोलेशन: व्यक्ति सामाजिक गतिविधियों से दूर रहता है और संबंधों में कठिनाइयाँ खड़ी करता है।
  • विचारों में कमजोरी: सोचने की क्षमता में कमजोरी, निरंतर अशांति और योग्यता में कमी हो सकती है।
  • आत्महत्या की सोच: व्यक्ति आत्महत्या के बारे में विचार करता है या ऐसे क्रियाएँ करता है जो उसके और उसके परिवार वालों लिए हानिकारक हो सकती हैं।
  • शारीरिक स्वास्थ्य की निगरानी में कमी: बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के बदलते लक्षण शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकते हैं, जैसे कि वजन की कमी या बढ़ता हुआ तनाव।

यह भी पढ़ें : जानिए तनाव से होने वाले मानसिक रोगों के नाम

मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health in Hindi) को बेहतर बनाएं रखने के लिए इन टिप्स को फॉलो करें-

  • सहायता प्राप्त करें: यदि आप मानसिक स्वास्थ्य के साथ समस्याओं का सामना कर रहे हैं, तो आपको मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स की सलाह लेनी चाहिए।
  • योग और मेडिटेशन: योग और ध्यान आपके मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं, और तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • स्वस्थ जीवनशैली: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और पर्यापन से बचाव करें। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है।
  • समय का प्रबंधन: काम के दबाव को कम करने के लिए समय का उचित प्रबंधन करें, जिससे आपको अधिक विश्राम मिले।
  • साथी संबंध: दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने से आपके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
  • स्वाध्यय: एक सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक मानसिक दृष्टिकोण बनाने के लिए पढ़ाई करें, सुनें, और करें।
  • अपनी आवश्यकताओं की देखभाल: आपकी आवश्यकताओं की पहचान करें और उन्हें पूरा करने का प्रयास करें, चाहे वो विश्राम, मनोरंजन, या आत्म-प्रेम हो।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन द्वारा मेंटल हेल्थ प्रोग्राम्स निम्न प्रकार से हैं:

  • WHO-OHCHR ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में मानवाधिकारों के हनन को संबोधित करने वाले कानूनों में सुधार के लिए नया मार्गदर्शन लॉन्च किया जिसके कुछ मुख्य की पॉइंट्स हैं:
  • अधिक प्रभावी समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना
  • जबरदस्ती की प्रथाओं को समाप्त करना
  • मानसिक स्वास्थ्य के लिए अधिकार-आधारित दृष्टिकोण अपनाने के लिए मार्गदर्शन का उपयोग करना
  • WHO ने आत्महत्या की रोकथाम और अपराधमुक्ति पर नए संसाधन लॉन्च किए जिसके कुछ मुख्य की पॉइंट्स हैं-
  • आत्महत्या और आत्महत्या के प्रयासों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना
  • आत्महत्या पर जिम्मेदार रिपोर्टिंग को बढ़ावा देना

Mental health in hindi से जुड़े कुछ तथ्य निम्न प्रकार से हैं:

  • डिप्रेशन एक जनरल मेंटल डिसोडर है।
  • विश्व स्तर पर, मेंटल डिसोडर के कारण हर 6 साल में से 1 व्यक्ति विकलांगता के साथ रहता है।
  • संघर्ष से प्रभावित परिवेश में लगभग 9 में से 1 व्यक्ति को मध्यम या गंभीर मानसिक विकार है।
  • गंभीर मानसिक विकार वाले लोग सामान्य आबादी की तुलना में 10 से 20 साल पहले मर जाते हैं।
  • डिप्रेशन और एंजाइटी के कारण ग्लोबल इकोनॉमी को प्रति वर्ष प्रोडक्टिविटी में लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान होता है।

मानसिक स्वास्थ्य में हमारा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल है। यह हमारे सोचने, महसूस करने और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करता है।

वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे पहली बार 10 अक्टूबर 1992 को उप महासचिव रिचर्ड हंटर की पहल पर मनाया गया था।  1994 तक, इस दिन का सामान्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और जनता को शिक्षित करने के अलावा कोई विशिष्ट विषय नहीं था।

यह दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने और मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित करने का दिन है।  यह दिन मानसिक स्वास्थ्य के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य वकालत, शिक्षा और जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास करता है।

आशा है कि आपको इस ब्लाॅग में मानसिक स्वास्थ्य (Mental health in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग इवेंट्स ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

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मानसिक स्वास्थ्य का महत्व

मानसिक स्वास्थ्य का महत्व

आज की दुनिया में, स्वास्थ्य समस्याओं, काम और व्यक्तिगत चुनौतियों से तनाव काफी बढ़ गया है। कठिन निर्णय लेने, प्रबंधन करने के लिए सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है तनाव , और दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत करना। 

यह समग्र कल्याण में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को समझने से हमें मानसिक बीमारी को रोकने और बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक:

  • पिछला आघात, दुर्व्यवहार या उपेक्षा
  • गंभीर और/या दीर्घकालिक तनाव
  • सामाजिक अलगाव
  • दीर्घकालिक शारीरिक स्थितियां
  • सामाजिक कमियाँ
  • गरीबी या महत्वपूर्ण ऋण
  • ब्रेकअप या तलाक
  • बेकार पारिवारिक जीवन

मानसिक स्वास्थ्य क्यों महत्वपूर्ण है?

मानसिक स्वास्थ्य में भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल है। मानसिक स्वास्थ्य का क्या महत्व है? यह हमारे जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है, हमारे कार्यों, विचारों और बातचीत को प्रभावित करता है

मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समग्र स्वास्थ्य के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए, अवसाद शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है जैसे

  • दिल की बीमारी

इसी तरह, पुरानी शारीरिक स्थितियाँ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। अच्छा मानसिक स्वास्थ्य उत्पादकता को बढ़ा सकता है, आत्म-छवि को बेहतर बना सकता है और रिश्तों को मज़बूत कर सकता है।

अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लाभ:

  • मूड को बूस्ट करता है
  • चिंता कम करता है
  • आंतरिक शांति बढ़ती है
  • विचारों की स्पष्टता बढ़ाता है
  • बातचीत में सुधार करता है
  • आत्मसम्मान बढ़ाता है

मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना क्यों महत्वपूर्ण है?

इसके लिए निरंतर ध्यान देने की आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए:

  • व्यक्तिगत और पारिवारिक संबंध बनाए रखें
  • सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें
  • दूसरों की मदद करो
  • मित्रों और परिवार से जुड़ें
  • पर्याप्त नींद सुनिश्चित करें
  • सामना करने के कौशल विकसित करें
  • चिकित्सा की तलाश करें
  • एक पत्रिका रखें
  • ध्यान जैसे सचेतनता का अभ्यास करें
  • नियमित रूप से व्यायाम करें
  • योग या कम प्रभाव वाले व्यायाम का प्रयास करें

अपनी भावनाओं को व्यक्त करना और साझा करना सीखने से मानसिक तनाव कम हो सकता है और विश्राम को बढ़ावा मिल सकता है। मनोचिकित्सक मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों का निदान करने के लिए डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक या अन्य मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपकी मदद कर सकते हैं। आपका प्राथमिक देखभाल चिकित्सक नैदानिक ​​मूल्यांकन या विशेषज्ञों के पास रेफरल में भी मदद कर सकता है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. जब किसी का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है तो क्या होता है.

जब किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य अच्छा होता है, तो वह अपने बारे में अच्छा महसूस करता है, रोज़मर्रा के तनावों का सामना कर सकता है और जीवन का आनंद ले सकता है। उनके रिश्ते सकारात्मक होते हैं और वे अच्छे निर्णय ले पाते हैं।

2. अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के कुछ लक्षण क्या हैं?

इन लक्षणों में खुश और आत्मविश्वासी महसूस करना, अच्छा आत्मसम्मान होना, समस्याओं को सुलझाने में सक्षम होना और दूसरों से जुड़ाव महसूस करना शामिल है।

3. हमें अपनी भावनाओं के बारे में बात क्यों करनी चाहिए?

अपनी भावनाओं के बारे में बात करने से हमें बेहतर महसूस करने और दूसरों से समर्थन पाने में मदद मिल सकती है। भावनाओं को दबाए रखने के बजाय यह व्यक्त करना महत्वपूर्ण है कि हम कैसा महसूस करते हैं।

4. अगर कोई मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहा है तो कौन मदद कर सकता है?

शिक्षक, माता-पिता, स्कूल काउंसलर और डॉक्टर मदद कर सकते हैं। अगर हम उदास, तनावग्रस्त या चिंतित महसूस कर रहे हैं, तो किसी ऐसे व्यक्ति से बात करना ज़रूरी है जिस पर हम भरोसा करते हैं।

5. तनाव कम करने के कुछ उपाय क्या हैं?

गहरी सांस लेना, ब्रेक लेना, शौक पूरे करना और किसी से बात करना जैसी गतिविधियां तनाव को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती हैं।

6. बदमाशी मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित कर सकती है?

बदमाशी से कोई व्यक्ति दुखी, डरा हुआ या चिंतित महसूस कर सकता है। अगर बदमाशी हो रही है तो किसी वयस्क को बताना और सहायता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।

7. मानसिक स्वास्थ्य के लिए नींद क्यों महत्वपूर्ण है?

पर्याप्त नींद लेने से हमारे मस्तिष्क को आराम और ऊर्जा मिलती है। इससे हमें ध्यान केंद्रित करने, समस्याओं को सुलझाने और भावनात्मक रूप से बेहतर महसूस करने में मदद मिलती है।

8. मानसिक स्वास्थ्य के लिए आत्म-देखभाल के कुछ तरीके क्या हैं?

आत्म-देखभाल का अर्थ है उन कार्यों के लिए समय निकालना जो हमें खुश और तनावमुक्त महसूस कराते हैं, जैसे पढ़ना, चित्रकारी करना, नहाना, या बाहर समय बिताना।

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essay on mental health in hindi

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मानसिक स्वास्थ्य - Mental Health in hindi

मानसिक स्वास्थ्य - Mental Health in hindi

essay on mental health in hindi

मानसिक स्वास्थ्य कई चीजों का एक जोड़ है: मानसिक रोग की अनुपस्थिति और जीवन के सामान्य तनावों का सामना करने की क्षमता, हमारी क्षमताओं को पहचानना और उत्पादकता से काम करना और दूसरों के साथ स्थायी संबंध बनाना, जैसी कई चीजें इसमें शामिल हैं। 

भारत के मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 के अनुसार, 'मानसिक बीमारी' का अर्थ है सोच, मनोदशा, धारणा, अनुकूलन या अनुस्थिति या स्मृति से जुड़ी वास्तविक बीमारी जो निर्णय, व्यवहार और वास्तविकता को पहचानने की क्षमता या जीवन की सामान्य मांगों को पूरा करने की क्षमता को बुरी तरह से हानि पहुंचाती है। शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग से जुड़ी मानसिक स्थितियां, लेकिन इसमें मानसिक मंदता शामिल नहीं है, जो किसी व्यक्ति के दिमाग को रोक देती है या मस्तिष्क के अधूरे विकास की स्थिति है, जो विशेष रूप से बुद्धि की सूक्ष्मता से अभिलक्षित होती है।

(और पढ़ें- मानसिक रोग दूर करने के घरेलू उपाय )

शोधकर्ताओं को इस बारे में अधिक से अधिक सबूत मिल रहे हैं कि हमारा मानसिक स्वास्थ्य- हम कैसा महसूस करते हैं, कैसा व्यवहार करते हैं, क्या सोचते हैं, हमारा मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण- हमारे शारीरिक कल्याण और जीवन की गुणवत्ता से जुड़ा है। वैसे तो हम सभी एक सुखी और स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि किसी को भी मानसिक स्वास्थ्य की समस्या हो सकती है। हमारे जीन्स, जीवन की घटनाओं, जीवनशैली, हमारा पर्यावरण और परिस्थितियां- इन सभी का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है।

जब बात मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के कारणों की आती है तो अल्जाइमर्स रोग जैसे कुछ विकार शरीर विज्ञान या जीवतत्व (मस्तिष्क में ताओ और एमिलॉयड प्रोटीन का निर्माण) में गहरे तक पाए जाते हैं जबकि अन्य विकारों की उत्पत्ति मनोवैज्ञानिक या सामाजिक कारणों (उदाहरण, सामाजिक चिंता) से जुड़ी होती है। हालांकि अब वैज्ञानिक यह पता लगा रहे हैं कि शारीरिक और मनोवैज्ञानिक कारण एक दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं।

मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति सिर्फ पीड़ित व्यक्ति से ही नहीं बल्कि समाज से भी लागत निकालने का काम करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की मानें तो, "मानसिक, तंत्रिका संबंधी और मादक द्रव्यों के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियां वैश्विक बोझ का 10% और गैर-घातक बीमारियों के भार का 30% हैं।" इसके अतिरिक्त, अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वैश्विक उत्पादकता को होने वाला नुकसान हर साल करीब 1 ट्रिलियन डॉलर होता है।

(और पढ़ें- मानसिक रोग की आयुर्वेदिक दवा और इलाज )

मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर न केवल भारत में बल्कि दुनियाभर में जो वर्जना है वह पीड़ित व्यक्ति को उचित मदद लेने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को कई कारणों से नैतिक वर्गीकरण से अलग करना महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर किसी व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य की कोई बीमारी हो जाती है तो उसके लिए उस व्यक्ति को दोषी ठहराना उतना ही गलत है जितना कि किसी को बीमार होने के लिए जिम्मेदार ठहराना। उदाहरण के लिए, अनुसंधान से पता चलता है कि शराब की लत और नशे की लत भी बीमारी है- कुछ लोगों को बेहद कम मात्रा का सेवन करने के बावजूद लत लगने का खतरा होता है क्योंकि इस लत पर उनका कोई नियंत्रण नहीं होता। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का तर्क है कि मादक पदार्थों की लत को एक नैतिक असफलता के रूप में देखना अनुचित है।

हम सभी अपनी मानसिक स्वास्थ्य की अधिक देखभाल कर सकते हैं- यदि हम मानसिक स्वास्थ्य को उसी तरह से प्राथमिकता दें जिस तरह से हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का तभी संज्ञान लें जब वे उत्पन्न होती हैं। अब यह थोड़ा आसान इसलिए भी हो गया है कि क्योंकि हर बीतते दिन के साथ वैज्ञानिक कुछ नई चीजों की खोज कर रहे हैं, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली, मस्तिष्क रसायन विज्ञान (डोपामाइन, एसटिलकोलाइन, गाबा, ग्लूटामेट, सेरोटोनिन , ऑक्सिटोसिन, एंडोर्फिन और नोरेपाइनफ्राइन) और भय, प्रेम और सामाजिक जुड़ाव जैसी हमारी मौलिक प्रवृत्ति के बारे में। 

यह आर्टिकल मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बातचीत शुरू करने का प्रयास है जिसमें मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए जोखिम कारक क्या हैं, भारत और दुनिया में सबसे सामान्य मानसिक स्वास्थ्य की स्थितियां कौन-कौन सी हैं और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुछ जरूरी सुझाव दिए गए हैं।

मानसिक स्वास्थ्य स्थिति से जुड़े जोखिम कारक

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के संकेत, सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, मानसिक स्वास्थ्य का इलाज और जरूरी टिप्स, आखिर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी ये बातें याद रखें.

essay on mental health in hindi

आघात या किसी तरह की चोट से लेकर आनुवांशिक प्रवृत्ति तक, मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़े दर्जनों जोखिम कारक मौजूद हैं। वास्तव में, शोधकर्ता गहराई से यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि जीवन की कौन सी घटनाएं (जैसे परिवार के सदस्य की मृत्यु और वित्तीय कठिनाइयां) मनोवैज्ञानिक और मानसिक समस्याओं को कैसे ट्रिगर कर सकती हैं। मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए निम्नलिखित वैश्विक जोखिम कारक हैं:

1. परिवार से संबंधित कारक : इसमें शामिल है

  • चिंता या अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के लिए किसी भी मानसिक बीमारी या आनुवंशिक प्रवृत्ति का पारिवारिक इतिहास। अनुसंधान से पता चलता है कि बाइपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों में इस बात की आशंका 60 से 80 प्रतिशत तक है कि उन्हें यह बीमारी परिवार के सदस्य से विरासत में मिली हो।
  • पारिवारिक कलह या परिवार के सदस्यों के साथ खराब रिश्ते
  • घरेलू कलह भी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गड़बड़ियों का एक प्रमुख कारण है। शोध से पता चलता है कि जिन लोगों को घरेलू दुर्व्यवहार या कलह का सामना करना पड़ता है, उनमें पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) विकसित हो जाता है। (और पढ़ें- हो जाएं सावधान, स्ट्रेस और दुख से भी टूट सकता है दिल )

2. वातावरण से जुड़े कारक : इसमें वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण जैसे कारक शामिल हो सकते हैं, लेकिन गर्भ में आपके द्वारा एक्सपोज की गई चीजें भी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, दवाइयां या शराब का सेवन। वैज्ञानिकों ने तापमान में वृद्धि और मानसिक अस्पताल में जाने के बीच संबंध भी पाया है।

3. वित्तीय कारक : शोध में पाया गया है कि जिन लोगों को पैसे की समस्या नहीं है, उनकी तुलना में वैसे परिवारों और वित्तीय समस्याओं वाले लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की अधिक संभावना होती है।

4. जीवनशैली से जुड़े कारक : इनमें बहुत कम या कोई व्यायाम शामिल नहीं हो सकता है, बहुत सारे प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से भरपूर खराब डाइट, धूम्रपान , तनावपूर्ण नौकरी, अपने और प्रियजनों के लिए समय न निकालना या आपके द्वारा चुने गए वैसे विकल्प जो समुदाय और दोस्तों से आपको अलग करते हैं, अकेलापन और सामाजिक अलगाव पैदा करते हैं। रीक्रिएशनल ड्रग्स, शराब और अन्य उत्तेजक भी अस्थायी रूप से मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।

5. सेहत से जुड़े कारक : किसी तरह की गंभीर (टर्मिनल) बीमारी, डायबिटीज जैसी पुरानी बीमारी, दुर्घटना या मस्तिष्क में लगी कोई चोट मनःस्थिति को प्रभावित कर सकती है। इनके अलावा, स्वास्थ्य की स्थिति का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाएं मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती हैं। बेशक, मानसिक बीमारी होना -विशेषकर बिना डायग्नोज की हुई या जिसका इलाज न हुआ हो- मानसिक स्वास्थ्य पर भारी प्रभाव डालता है। कोविड-19 महामारी के दौरान, लोगों ने नई बीमारी के बारे में चिंतित महसूस करने की सूचना दी- यह कोविड-19 के न्यूरोलॉजिकल लक्षणों जैसे सिरदर्द , चक्कर आना , कम सतर्कता और भ्रम की स्थिति से काफी अलग है।

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6. जीवन की अहम घटनाएं : परिवार में किसी तरह का अलगाव या किसी सदस्य की मृत्यु, नौकरी छूटना, दुर्घटना का शिकार होना, ब्रेकअप, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति जैसे जीवन चरणों के रूप में भी घटनाओं का मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

7. अन्य कारक : युद्ध, संघर्ष, माइग्रेशन, शारीरिक या यौन शोषण , अपनी या प्रियजनों की सुरक्षा का भय होना, डराना-धमकाना (बुलिंग) और लगातार सतर्कता की स्थिति में रहना जैसा कि वैश्विक महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है। 

आपके लिंग या जेंडर का भी मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में डिप्रेशन का खतरा अधिक होता है। अनुसंधान से पता चलता है कि वित्तीय कठिनाइयों का पुरुषों के स्वास्थ्य की तुलना में महिलाओं पर अधिक प्रभाव पड़ता है।

(और पढ़ें - डिप्रेशन के घरेलू उपाय )

अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि आपकी उम्र भी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कारकों में योगदान दे सकती है: कम उम्र में उपेक्षा और मानसिक स्वास्थ्य की गड़बड़ी का व्यक्ति पर वयस्कों की तुलना में अधिक प्रभाव पड़ता है। आयु के विस्तार के दूसरे छोर पर, अल्जाइमर्स जैसी डीजेनेरेटिव मानसिक बीमारियां बच्चों के बजाय वरिष्ठ नागरिकों को अधिक प्रभावित करती हैं। तो वहीं, अकेलापन जैसे मानसिक सेहत के कुछ कारक ऐसे भी हैं जो युवाओं और बुजुर्गों को एक समान रूप से प्रभावित करते हैं।

जोखिम कारकों पर राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण विशेष रूप से भारत में 

2016 में, NIMHANS ने भारत के पहले राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NMHS) के निष्कर्षों को प्रकाशित किया। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के सबसे बड़े जोखिम कारक हैं:

  • सामान्य जोखिम : मौजूदा समय में भारत की 10.6% आबादी में मानसिक अस्वस्थता (या मानसिक स्वास्थ्य के कारण होने वाली समस्याएं) के कुछ रूप मौजूद हैं और सर्वे में शामिल 13.7% प्रतिभागियों ने अपने जीवन में किसी न किसी समय मानसिक अस्वस्थता का अनुभव करने की बात कही
  • लिंग(जेंडर) : भारत में पुरुषों में महिलाओं की तुलना में मानसिक अस्वस्थता का प्रसार अधिक है, सर्वेक्षण के समय भी (पुरुषों के लिए 13.9% और महिलाओं के लिए 7.5%) और जीवन के किसी न किसी समय भी (पुरुषों के लिए 16.7% और महिलाओं में 10.8%)।
  • उम्र : 40 से 49 साल के बीच के लोगों को मानसिक अस्वस्थता होने का खतरा सबसे अधिक है। (14.5%)
  • रहने की जगह : शहरी महानगरों में रहने वाले लोगों में मौजूदा समय में मानसिक अस्वस्थता अधिक है(14.7%), उन लोगों की तुलना में जो गैर-मेट्रो शहरों और कस्बों में रहते हैं (9.73%) और भारत के गांवों में रहते हैं (9.57%)
  • शिक्षा का स्तर : शिक्षा की भी इसमें अहम भूमिका है: सर्वेक्षण में यह बात भी सामने आयी कि जिन लोगों को स्कूल में प्राथमिक शिक्षा हासिल हुई उन लोगों में मानसिक अस्वस्थता की दर अधिक थी उन लोगों की तुलना में जिन्हें कोई स्कूली शिक्षा नहीं मिली। हालांकि, मानसिक रुग्णता दर में कमी देखने को मिली जैसे-जैसे व्यक्ति की "शिक्षा की स्थिति" या योग्यता में वृद्धि होती गई। हाई स्कूल डिप्लोमा वाले लोगों में बिना किसी शिक्षा वाले लोगों की तुलना में मानसिक रुग्णता का प्रचलन कम था- और उच्च शिक्षा वाले लोग मैट्रिक प्रमाणपत्र वाले लोगों की तुलना में बेहतर थे।
  • सामाजिक आर्थिक स्थिति : मजदूर वर्ग के लोगों में उच्च आय वर्ग के लोगों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का अधिक प्रचलन था।
  • वैवाहिक/रिलेशनशिप की स्थिति : जो लोगों के पति या पत्नी की मौत हो चुकी है या जो अपने पति या पत्नी से अलग हैं, उन लोगों में शादीशुदा लोगों की तुलना में मानसिक रुग्णता दर अधिक थी (11.16% वर्तमान और 14.38% जीवनकाल) और उन लोगों की तुलना में भी जिन्होंने कभी शादी नहीं की थी (क्रमशः 7.66% और 9.5%)।

जैसा कि इस सूची से देखा जा सकता है, खराब मानसिक स्वास्थ्य के कुछ जोखिम कारक हमारे नियंत्रण में होते हैं लेकिन बाकी नहीं। कुछ अस्थायी होते हैं, जबकि अन्य हमारी सेहत पर लंबे समय तक बुरा असर डालते हैं। महत्वपूर्ण बात यह याद रखना है कि मदद मांगना मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में पहला कदम है।

जीवन की कुछ स्थितियों में छोटी अवधि या कम समय के लिए परेशान होना स्वाभाविक है। हालांकि, मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ी के कुछ सामान्य संकेतों पर नजर रखना बेहद महत्वपूर्ण है। इनमें ये चीजें शामिल हैं लेकिन ये किसी विशेष क्रम में नहीं हैं:

  • आशाहीन या अयोग्य महसूस करना
  • हर वक्त बेचैनी या चिंता महसूस करना (और पढ़ें- मन और दिमाग को शांत कैसे करें )
  • व्यवहार में एक उल्लेखनीय परिवर्तन
  • हर वक्त मन में नकारात्मक विचार आना
  • स्वयं को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचना (खुद को नुकसान पहुंचाना) या दूसरों को
  • आत्महत्या के बारे में सोचना
  • सोने में कठिनाई महसूस होना या बहुत अधिक सोना
  • भूख कम लगना या सामान्य से अधिक खाना
  • मित्रों, पारिवारिक, सामाजिक समारोहों से बचना
  • उन गतिविधियों में कम या कोई खुशी न मिलना जिसे पहले आप बहुत इंजॉय करते थे
  • शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होना
  • कामेच्छा या सेक्स ड्राइव में कमी  (और पढ़ें- कामेच्छा बढ़ाने के उपाय, घरेलू नुस्खे )
  • भ्रम की स्थिति
  • गलतफहमी, मतिभ्रम या आवाजें सुनाई देना
  • शराब, निकोटीन या ड्रग्स जैसे किसी के मूड को बदलने वाले पदार्थों पर निर्भर रहना
  • रोजमर्रा के कामों को करने में कठिनाई महसूस होना जैसे काम के लिए तैयार होना या खुद की देखभाल करना

कुछ मायनों में देखा जाए तो हमारा मस्तिष्क ही चिकित्सा क्षेत्र की अंतिम सीमा है। वैज्ञानिक अब भी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और शरीर के भीतर मौजूद जटिल रासायनिक इंटरैक्शन का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं जो शरीर को नियंत्रित करतें है, हम कैसा महसूस करते हैं, सोचते हैं, व्यवहार करते हैं। ऐसी दर्जनों स्थितियां हैं जो मस्तिष्क और हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। भारत के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 (NMHS 2016 के लेटेस्ट उपलब्ध डेटा) के अनुसार, सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं निम्नलिखित हैं:

  • पदार्थ उपयोग विकार (सब्स्टेंस यूज डिसऑर्डर एसयूडी) : शराब, ओपिऑयड्स, भांग , दर्दनिवारक दवाइयां और निद्राजनक या मंत्रमुग्ध करने वाली दवाइयां, कोकीन और अन्य उत्तेजक जैसे- मतिभ्रम करने वाले, वाष्पशील विलायक द्रव और तम्बाकू - ये सभी मनोवैज्ञानिक रूप से सक्रिय पदार्थ हैं जो मस्तिष्क और शरीर की कई प्रणालियों को एक साथ प्रभावित कर सकते हैं- साथ ही, वे आदत बनाने वाले या नशे की लत वाले भी हो सकते हैं।
  • NMHS 2016 के अनुसार, भारत में हर 5 में से 1 व्यक्ति इनमें से कम से कम एक पदार्थ का उपयोग करता है। तंबाकू के उपयोग की व्यापकता तो करीब 21% है, अल्कोहल की 4.6% और ड्रग्स की 0.6%।
  • अनुसंधान से पता चलता है कि सिगरेट रसायन जैसे पदार्थ "मस्तिष्क परिवर्तन" का कारण बनते हैं और उन लोगों के लिए और बदतर हो सकते हैं, जिन्हें पहले से ही मनोरोग की कोई बीमारी है जैसे- एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरऐक्टिविटी डिसऑर्डर) या अल्जाइमर्स। (और पढ़ें- बच्चों में एडीएचडी )
  • स्किजोफ्रेनिया और दूसरे मनोरोग : कई मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों में मनोविकृति या पागलपन हो सकता है जैसे- स्किजोफ्रेनिया , स्किज़ोअफेक्टिव डिसऑर्डर , कैटाटोनिया और बाइपोलर डिसऑर्डर। साइकोऐक्टिव पदार्थों के उपयोग से भी कभी-कभी मनोविकृति भी हो सकती है। स्किजोफ्रेनिया एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है जो रोगी की वास्तविकता की भावना को विकृत करती है- यह भ्रम (भ्रम संबंधी विकार), मतिभ्रम और दिन-प्रतिदिन के आधार पर सामान्य रूप से कार्य करने में कठिनाई से जुड़ा हो सकता है।
  • NMHS 2016 के अनुसार, सर्वेक्षण करने के समय देश में स्किज़ोफ्रेनिया और अन्य मानसिक विकारों की व्यापकता 0.5% थी और सर्वे में शामिल 1.4% प्रतिभागियों ने कहा कि उनके जीवन में किसी न किसी समय मानसिक विकार था। WHO के अनुसार, वैश्विक स्तर पर करीब 2 करोड़ लोग स्किजोफ्रेनिया के साथ जी रहे हैं।
  • मूड डिसऑर्डर : डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर (एसएडी), प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) और ड्रग से प्रेरित या बीमारी से संबंधित डिप्रेशन- ये सभी मूड डिसऑर्डर के उदाहरण हैं। NMHS 2016 के अनुसार, सर्वेक्षण करने के समय मूड से जुड़े इन विकारों का प्रचलन 2.84% था और प्रतिभागियों के जीवन में किसी न किसी बिंदु पर इसकी मौजूदगी 5.61% थी। WHO के अनुसार, विश्व स्तर पर करीब 26.4 करोड़ लोग अवसाद के साथ जी रहे हैं।
  • तंत्रिका रोग और तनाव-संबंधी विकार : पागलपन या मानसिक रूप से विक्षिप्त होने में सनक और चिंता से जुड़ी बीमारियां जैसे- ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर और फोबिया शामिल है जबकि तनाव से संबंधित विकारों में पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और एक्यूट स्ट्रेस डिसऑर्डर शामिल है (जो 3 दिनों से लेकर 1 महीने तक जारी रह सकता है)।
  • आत्महत्या का खतरा : खुद को नुकसान पहुंचाना और आत्महत्या, नकारात्मक विचारों और कम मानसिक स्वास्थ्य के चरम नतीजे हैं। NMHS 2016 के अनुसार, भारत में प्रति 1 लाख की आबादी पर 10.6 आत्महत्याओं का प्रचलन है जो 30 से 44 साल के लोगों के बीच सबसे ज्यादा देखने को मिलता है (17.24 प्रति 1 लाख)। इसके बाद 18 से 29 के बीच के लोगों का नंबर आता है जिनमें 17.15 आत्महत्याएं प्रति 1 लाख। भारत में महिलाओं की तुलना में पुरुषों में आत्महत्या की दर अधिक है। वैश्विक स्तर पर देखें तो हर साल कुल मौतों में से 1.4% मौतें आत्महत्या के कारण होती हैं। अनुसंधान से पता चलता है कि बचपन के प्रतिकूल अनुभव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं आत्महत्या के उच्च जोखिम से जुड़ी होती हैं।

भारत में मानसिक बीमारी से लड़ने और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम मौजूद है। चिकित्सा स्वास्थ्य पेशेवर व्यक्ति और हेल्पलाइन तक पहुंचने के अलावा, आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कई रास्ते उपलब्ध हैं। इस क्रम में आपकी मदद करने के लिए क्या आइडिया मौजूद हैं:

  • साइकोथेरेपी : संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, टॉक थेरेपी, शोक परामर्श थेरेपी जैसी कई मनोचिकित्सा थेरेपी हैं जो कुछ लोगों को इस बात की जड़ तक पहुंचने में मदद कर सकती हैं कि वे कैसा महसूस कर रहे हैं और अपनी भावनाओं का सामना करने के लिए उन्हें जरूरी रणनीतियों से लैस कर सकती हैं।
  • ड्रग थेरेपी : मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए एंटीडिप्रेसेंट्स और एंटीसाइकोटिक्स जैसी दवाएं प्रिस्क्राइब की जाती हैं।
  • जीवनशैली में बदलाव : हम जो खाते हैं उस भोजन के संदर्भ में स्वस्थ विकल्प चुनना, हम कितना व्यायाम करते हैं, हम लोगों से कितना मिलते-जुलते हैं, सामाजिकरण करते हैं और क्या हम जानबूझकर सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने का प्रयास करते हैं- इन सभी का हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। अनुसंधान से पता चलता है कि केवल मुस्कुराने से लोगों के मूड में सुधार हो सकता है जबकि मुंह बनाकर रखने या शिकायत करते रहने से मूड और खराब होता है। (और पढ़ें- खुलकर हंसने के भी हैं कई फायदे )
  • आराम : ऊपर बताई गई चीजों के अलावा ध्यान , योग , ताई ची और गहरी सांस लेने का व्यायाम आपको आराम दिलाने और अच्छा महसूस करने में आपकी मदद कर सकता है।

जैसा कि आप जानते हैं, मानसिक स्वास्थ्य का मतलब केवल मानसिक बीमारी की अनुपस्थिति नहीं है। यह मानसिक कल्याण के बारे में 360 डिग्री यानी संपूर्ण दृष्टिकोण समझने के बारे में है। इस कारण से, ऐसी चीजें करना जो आपको आराम देती हों (जैसे- छुट्टियों पर जाना या फिल्म देखने जाना), आपको फिट रखती हों (मुख्य रूप से व्यायाम और आहार लेकिन डॉक्टर द्वारा नियमित जांच भी) और आपको खुश रखती हों यहां पर महत्वपूर्ण है। विटामिन डी की कमी जैसी बेहद छोटी चीज भी आपकी समस्या को बढ़ा सकती है। इसलिए अपनी देखभाल और खुशी पर ध्यान देना जरूरी है।

आखिर में हमारी खुद की धारणाओं और हमारे जीवन और पारस्परिक संबंधों पर सोशल मीडिया का क्या व्यापक प्रभाव पड़ता है, इस पर विचार किए बिना आज मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात करना असंभव है। फियर ऑफ मिसिंग आउट (FOMO) यानी चीजों को मिस कर देने का डर, सामाजिक चिंता, जानकारी की महामारी (infodemic) और शारीरिक छवि से जुड़े मुद्दे- सभी इस सोशल मीडिया के माध्यम से गहराई से जुड़े हैं। जैसा की बाकी चीजों के साथ होता है, अगर आप ऑनलाइन अपने जीवन के किसी भी पहलू से व्यथित महसूस कर रहे हों तो मदद मांगने के लिए अपना हाथ आगे जरूर बढ़ाएं।

(और पढ़ें - इन साधारण लेकिन असरदार उपायों से करें खुद की देखभाल )

विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार "मानसिक स्वास्थ्य: हमारी प्रतिक्रिया को मजबूत करना" तथ्य पत्रक, "कई सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और जैविक कारक किसी भी समय किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के स्तर को निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिए, हिंसा और लगातार सामाजिक-आर्थिक दबाव मानसिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम के रूप में पहचाने जाते हैं। इसके सबसे स्पष्ट सबूत यौन हिंसा से जुड़े हैं।" WHO के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य में गड़बड़ी के अन्य जोखिम कारक हैं:

  • तेजी से हो रहे सामाजिक परिवर्तनों के साथ अपनी स्पीड को बनाए रखने में असमर्थता महसूस होना
  • काम की स्थिति खराब या तनावपूर्ण। इसमें काम करने की जगह पर बुलिंग, क्रूर प्रतिस्पर्धा और दबाव या काम और जीवन के बीच अस्थिर समीकरण शामिल हो सकते हैं।
  • लिंग भेदभाव : इसमें गैर-विषमलिंगीय यौन वरीयताओं, थर्ड जेंडर, गैर-सीसजेंडर पहचान रखने वाले लोगों के खिलाफ भेदभाव शामिल हो सकता है
  • सामाजिक बहिष्करण : सामाजिक बहिष्कार के कई रूप हैं, स्कूल में लोकप्रिय बच्चों के समूह से बहिष्करण से शुरू होकर जाति या धर्म के आधार पर बहिष्कार
  • अस्वस्थ जीवनशैली
  • शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं
  • मानव अधिकारों का उल्लंघन
  • मनोवैज्ञानिक और व्यक्तित्व कारक
  • जैविक जोखिमों में जीन्स भी शामिल है

वैसे तो कई अलग-अलग प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ियां और विकार हैं और प्रत्येक के अपने संकेत और लक्षण भी होते हैं, बावजूद इसके कुछ खतरे ऐसे भी हैं जिन्हें हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इनमें निराशा, नींद की गड़बड़ी, भूख में अचानक बदलाव, खुद को नुकसान पहुंचाना या आत्महत्या के विचार शामिल हैं।

मानसिक स्वास्थ्य का मतलब केवल मानसिक बीमारी का अभाव नहीं है, इसमें मानसिक कल्याण भी शामिल है। भारत के पास मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम मौजूद है। इसके अलावा, लोगों को अपने मुद्दों से निपटने में मदद करने के लिए मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सक और परामर्शदाताओं के मामले में भारत में बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता बढ़ रही है।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के संकेतों पर नजर रखना बेहद जरूरी है- खुद में भी और अपने प्रियजनों में भी (जिसमें बच्चे भी शामिल हैं)- और अगर मदद की जरूरत हो तो किसी पेशेवर के पास जाएं या स्वंय सहायता निर्देश से जुड़े कदम उठाएं। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ना भी बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि हम सभी अपने मानसिक स्वास्थ्य का बेहतर ख्याल रख सकें।

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मानसिक स्वास्थ्य के डॉक्टर

Dr. Prince Asrani

Dr. Prince Asrani

मनोविज्ञान 2 वर्षों का अनुभव.

Dr. Shivani Singh

Dr. Shivani Singh

मनोविज्ञान 3 वर्षों का अनुभव.

Dr. Ansha Patel

Dr. Ansha Patel

मनोविज्ञान 11 वर्षों का अनुभव.

Dr. Sapna Zarwal

Dr. Sapna Zarwal

मनोविज्ञान 19 वर्षों का अनुभव.

  • Ministry of Law and Justice. The Mental Health Care Act, 2017 , The Gazette of India, 7 April 2017.
  • Ministry of Health and Family Welfare, Government of India, and National Institute of Mental Health and Neuro Sciences, Bengaluru [Internet]. National mental health survey of India 2015-16: Prevalence, pattern and outcomes , 2016.
  • National Health Portal, Government of India [Internet]. National mental health programme .
  • World Health Organization, Geneva [Internet]. Schizophrenia .
  • Moreno-Küstner B., Martín C., Pastor L. Prevalence of psychotic disorders and its association with methodological issues. A systematic review and meta-analyses . PLoS One. 12 April 2018; 13(4): e0195687. PMID: 29649252.
  • Johns Hopkins Hospital, Baltimore, US [Internet]. Symptom checklist 90-R .
  • Editorial. The impact of the SCL-90 on the validity of the DSM-IV neurotic or stress-related disorders , Acta Psychiatrica Scandinavica 2004; 110: 161–162, Blackwell Munksgaard 2004
  • World Health Organization, Geneva [Internet]. The WHO special initiative for mental health (2019-2023): Universal health coverage for mental health .
  • HealthDirect, Australian Government's Department of Health [Internet]. Nine signs of mental health issues .

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India Research Center

मानसिक स्वास्थ्य

  • सजगता का अभ्यास करें

सजगता वह स्थिति है जिसमें हम अपने मस्तिष्क में और हमारे आस-पास चल रही चीजों के बारे में जागरुक रहते हैं लेकिन इसको ले कर कोई प्रतिक्रिया नहीं करते। हर पल को हम पूर्णता के साथ और उसका पूरा उपयोग करते हुए जीते हैं। इसका अभ्यास करने के लिए अपने पूरे ध्यान को ‘इस समय’ या ‘वर्तमान’ पर लगाएं। आपके जेहन से गुजर रहे सभी विचारों को ले कर जागरुक रहें और इन पर कोई फैसला कायम नहीं करें। साक्ष्य बताते हैं कि अगर हम अपने दैनंदिन जीवन में इस सजगता का अभ्यास करें तो भावनात्मक उथल-पुथल लानी वाली घटनाओं से निपट पाने में, अपनी भावनात्मक स्थिति पर नियंत्रण रखने में और चिंता व तनाव संबंधी लक्षणों को कम करने में काफी अधिक सक्षम हो पाते हैं।

  • प्रणायाम या सांस संबंधी आसन सीखें

जब कभी तनाव में हों, लंबी और गहरी सांस लें! “सजग श्वसन प्रक्रिया” को आसानी से सीखा जा सकता है। सामान्य गति से सांस लें और अपनी हर आती-जाती सांस के साथ शरीर में होने वाली संवेदना को महसूस करें। प्रणायाम या सजग श्वसन प्रक्रिया पर शोध कर हम अपनी भावनाओं और तनाव पर काबू रख सकते हैं। सजग श्वसन का एक अहम तरीका विकेंद्रीकरण भी है। इसमें हम अपने मस्तिष्क में चल रहे नकारात्मक विचारों को महसूस करना सीखते हैं और उस दौरान हम उसको ले कर कोई निष्कर्ष नहीं निकालते। इस तरह हम नकारात्मक भावों से खुद अपने आप को अलग रख पाने में कामयाब हो पाते हैं।

  • ध्यान लगाएं

ध्यान बहुत आसान प्रक्रिया है और इसके लिए सिर्फ कुछ मिनट ही चाहिए होते हैं!  इससे शांति मिलती है, नकारात्मक भावनाएं कम होती हैं, तनाव से निपटने की शक्ति मिलती है और सहनशक्ति बढ़ती है। सजग ध्यान में आप अपने शरीर, सांस और विचारों को ले कर सजग रहते हैं, लेकिन कोई नकारात्मक भाव आए तो बिना उससे किसी निष्कर्ष पर पहुंचे ही आगे बढ़ जाते हैं और उसका प्रभाव स्वयं पर नहीं होने देते। ध्यान में आपकी सहायता के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन असंख्य सामग्री उपलब्ध हैं। इस खंड के अंत में भी ऐसे कई स्रोत उपलब्ध करवाए गए हैं।

  • समाचार के लिए सिर्फ भरोसेमंद स्रोतों का ही उपयोग करें

कोविड​​-19 के बारे में सटीक और समय पर जानकारी प्राप्त करना बहुत जरूरी है। लेकिन इसके लिए सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे विश्वस्त सूत्रों की ओर से जारी सलाह पर ही भरोसा करना चाहिए। इस वायरस के बारे में बहुत अधिक खबरें देखने से भय और चिंता की भावनाएं बढ़ सकती हैं। खास तौर पर नवीनतम वैज्ञानिक शोध आदि के बारे में आ रही जानकारी आपके दिन-प्रतिदिन के प्रयोग के लिए प्रासंगिक नहीं होती हैं। समाचार पढ़ने और देखने या सोशल मीडिया पर समय व्यतीत करने की बजाय पढ़ने, संगीत सुनने, दूसरों से बात करने या किसी सकारात्मक गतिविधि में समय लगाएं।

  • सोशल मीडिया का सजग उपयोग

हम में से बहुत से लोग सोशल मीडिया पर सूचना साझा करने को ले कर चिंतित रहते हैं, लेकिन झूठी और भ्रामक सूचना हमारे जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करते समय दो बार सोचें। खुद से पूछें- क्या वह सामग्री सच्ची, लोगों की मदद करने वाली, प्रेरणा देने वाली, आवश्यक या सहृदयतापूर्ण है? कोविड-19 के दौरान सोशल मीडिया के अधिक सजग उपयोग के संबंध में और जानकारी के लिए यहां क्लिक करें ।

  • दूसरों के लिए दयालु और उदार रहें

मौजूदा परिस्थिति में अक्सर ऐसा होगा कि लोग अपने और अपने परिवार के लिए ही सोचें। हम खाने-पीने के समान और दवाओं की कमी की आशंका में इन्हें बड़े पैमाने पर जमा करने लगते हैं जिसकी वजह से इनकी कमी हो जाती है। ऐसे मौकों पर खाद्य और आवश्यक सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है, लेकिन ऐसे में दूसरे लोगों का भी ध्यान रखें और यह नहीं भूलें कि उन्हें भी इनकी जरूरत हो सकती है। ऐसी उदारता और दया का भाव हमारे अंदर सामुदायिक भाव को जागृत कर सकता है और इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी को इन चीजों की समान उपलब्धता हो।

  • किसी को कलंकित ना करें और सभी के लिए सहानुभूति रखें

वायरस किसी से भेद-भाव नहीं करता तो फिर हम ऐसा क्यों करें! कोविड-19 के प्रसार के साथ लोगों में जो भय और चिंता का माहौल बना है, उससे कुछ लोगों, स्थानों या समुदायों के बारे में दुर्भावना पैदा हो सकती है। इससे प्रभावित व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर कुपरिणाम हो सकते हैं, अविश्वास का माहौल पैदा हो सकता है और साथ ही इससे संबंधित लोगों को ऐसे किसी मामले के बारे में बताने या जांच करवाने में भय हो सकता है। कलंक के इस भाव से हम निपट सकते हैं, इसके लिए हमें यह समझना होगा कि वायरस सामाजिक वर्ग, नस्ल, समुदाय या राष्ट्रीयता को नहीं देखता। ऐसे मामलों में हमें दूसरे व्यक्ति या समुदाय की जगह खुद को रख कर देखना चाहिए और उन लोगों या समुदायों के प्रति उदारता दिखानी चाहिए। इनके बारे में किसी तरह के भेद-भाव या कट्टरता पैदा करने वाली सूचना को प्रसारित करने से रोकना चाहिए।

कुछ उपयोगी स्रोत

  • Center for Disease Control: Mental Health and Coping During COVID-19
  • World Health Organization:  Mental health and psychosocial considerations during the COVID-19 outbreak
  • Minding our minds during COVID 19
  • Mental health of children
  • Mental health of elderly
  • Psychosocial issues among migrants  
  • Harvard T.H. Chan School of Public Health: Tips for Coping with Stress
  • Harvard University Health Services: Managing Fear and Anxiety Around Corona Virus
  • Center for Health & Happiness: Harvard T. H. Chan School of Public Health
  • Thrive Global: 5 Ways to Manage Your Coronavirus Stress

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COMMENTS

  1. Mental Health Essay: छात्रों के लिए सरल शब्दों में मानसिक ...

    Essay On Mental Health in Hindi पर कोट्स नीचे दिए गए हैं: “सबसे महत्वपूर्ण चीज है कि आप अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।”

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    मानसिक स्वास्थ्य का महत्व. आज की दुनिया में, स्वास्थ्य समस्याओं, काम और व्यक्तिगत चुनौतियों से तनाव काफी बढ़ गया है। कठिन निर्णय लेने, प्रबंधन करने के लिए सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है तनाव, और दूसरों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत करना।.

  5. मानसिक स्वास्थ्य - विकिपीडिया

    मानसिक स्वास्थ्य या तो संज्ञानात्मक, व्यवहारात्मक अथवा भावनात्मक सलामती के स्तर का वर्णन करता है या फिर किसी मानसिक विकार की ...

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    स्वास्थ्य देश के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ/WHO) के अनुसार "रोग या दुर्बलता का उपचार, शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक तरीकों से अच्छी तरह से किया जा रहा है। मानसिक स्वास्थ्य को परिभाषित करने में यह कहा जा सकता है कि इससे, एक व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का पता चलता है, यह आत्मविश्वास आता कि वे जीवन के तनाव क...

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    मानसिक स्वास्थ्य कई चीजों का एक जोड़ है: मानसिक रोग की अनुपस्थिति और जीवन के सामान्य तनावों का सामना करने की क्षमता, हमारी क्षमताओं को पहचानना और उत्पादकता से काम करना और दूसरों के साथ स्थायी संबंध बनाना, जैसी कई चीजें इसमें शामिल हैं।.

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    About Mental Health (Web article): Hindi . jwiqvwd v dUsry qrh ky (il<gmUlk pircX, amr, Dm~, sÒXqw, #lws , Awid kI vjh sy) p@pwqo< kw swmnw km AwmdnI Xw Gr nw honw

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