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संचार के साधन पर निबंध व महत्व Essay on Means of Communication in Hindi

इस लेख में हमने संचार के साधन पर निबंध, महत्व, प्रकार (Essay on Means of Communication in Hindi) लिखा है। इस अनुच्छेद में संचार के आधुनिक साधन के विषय में हमने जानकारी दिया है।

आईये शुरू करते हैं – संचार के साधन पर निबंध …

Table of Content

संचार के साधन किसे कहते हैं? What is Means of Communication in Hindi?

आज की 21वीं सदी में संचार साधनों के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है। प्राचीन काल में कबूतरों , बाज जैसे पक्षियों के द्वारा संदेश का आदान प्रदान किया जाता था। संदेशवाहक घोड़े की सवारी करके संदेश लेकर जाता था जिसमे कई दिन लग जाते थे।

जैसे-जैसे विज्ञान का विकास होने लगा नये नये संचार उपकरण जैसे तार, टेलीग्राम, दूरभाष, रेडियो, टेलीवीजन, इंटरनेट, मोबाइल फोन का अविष्कार हो गया और अब हम सभी संचार के साधनों पर पूरी तरह से निर्भर हो गये है।

अब विज्ञान ने इतना विकास कर लिया है कि दुनिया में किसी भी व्यक्ति से तुरंत बात की जा सकती है। इतना ही नही विडियो कालिंग करके आमने सामने देखते हुए भी बात की जा सकती है। पहले लोग संचार के लिए चिट्ठियां लिखते थे।

ये पहुंचने में बहुत देर लगाती थी पर आज ऐसा बिलकुल नही है। देश, दुनिया में किसी भी व्यक्ति से तुरंत ही बात कर सकते हैं। संचार के साधनों के विकास से अब जीवन बहुत सरल हो गया है। अब सूचना का आदान प्रदान बहुत सस्ता और सुगम हो गया है।

आधुनिक समय में संचार के साधन के प्रकार नाम Modern Means of Communications in Hindi

आधुनिक समय में संचार के साधन इस प्रकार है-

  • इंटरनेट, ई-मेल
  • विडियो कालिंग
  • विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग
  • मुद्रण माध्यम (Published means of communication) जैसे- समाचार पत्र (अखबार), पत्रिकाएँ, पुस्तकें, जर्नल, पैम्फलेट
  • इलेक्ट्रोनिक माध्यम (Electronic means of communication) जैसे रेडियो, टेलीवीजन, इंटरनेट, ई-मेल, लैंडलाइन और मोबाइल फोन, टेलीग्राम, पेजर, फैक्स, वीडियो कालिंग, विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग,

प्रमुख संचार के साधन विस्तार में Popular means of Communications in Hindi

1. टेलीवीजन television.

पढ़ें: टेलीविज़न के फायदे और नुकसान

यदि कहा जाये कि आधुनिक समय में टेलीवीजन बेहद लोकप्रिय संचार का साधन है तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नही होगी। इसका आविष्कार 1920 में किया गया था। फिलोफार्नवर्थ ने पहले टेलीवीजन का आविष्कार 25 अगस्त 1934 को किया।

यह मनोरंजन का बहुत बड़ा साधन है। बच्चे से लेकर वयस्कों को टेलीवीजन देखना बहुत पसंद है। इसके द्वारा दूर के चित्रों, विडियो को अपने घर में बैठकर ही बड़ी आसानी से देखा जा सकता है। इसके द्वारा हमे नई नई खबरे मिलती रहती हैं।

2. टेलीफोन / दूरभाष Telephone

ऐलेक्ज़ैन्डर ग्राहम बेल ने अपने सहायक टॉमस वाटसन की मदद से टेलीफोन का अविष्कार 10 मार्च 1876 को किया था। इसके जरिये हम किसी दूर बैठे व्यक्ति से बात कर सकते हैं। वर्तमान समय में ये संचार का बहुत प्रसिद्द माध्यम है। पहला टेलीफोन न्यूयॉर्क और शिकागो के बीच 1892 में लगाया गया था।

3. मोबाइल फोन Mobile Phone or Smartphone

पढ़ें: मोबाइल फ़ोन पर निबंध

आज हम इसके बिना घर से नही निकल सकते है। यह संचार का माध्यम अत्यंत प्रसिद्द है। बच्चे, वयस्क, बूढ़े सब मोबाइल फोन के दीवाने हो गये हैं। आज नये नये फोन हर दिन देश में लांच होते रहते हैं। पहले मोबाइल फोन का आविष्कार मोटोरोला कम्पनी के डॉ मार्टिन कूपर ने 1973 में किया था। जापानी कम्पनी NTT ने दुनिया की पहली सेल्यूलर फोन सेवा टोक्यो में शुरू की थी।

4. विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग Video Conferencing

इसके द्वारा दुनिया में कहीं भी किसी व्यक्ति से आडिओ विडियो सुविधा के साथ बात की जा सकती है। आज के समय में यह बेहद लोकप्रिय हो गया है। आज लोग इनका उपयोग निजी एवं कॉमर्शियल जरूरतों के लिए कर रहे हैं। विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये आज कम्पनी किसी अभ्यर्थी का इंटरव्यू दूर से ही ले सकती हैं।

आजकल अदालतें भी मुकदमे के लिए इसका इस्तेमाल कर रही हैं। फोन या कम्प्यूटर की मदद से इसमें आमने सामने किसी दूर बैठे व्यक्ति से बात की जा सकती है। 1920 के दशक में AT&T कम्पनी के बेल लैब्स और जॉन लोगी बेयर्ड से इसका अविष्कार किया था।

5. ई-मेल E-mail

आज ई-मेल एक बेहद लोकप्रिय संचार का साधन है। यह निशुल्क होता है, घर बैठे हम अपने प्रियजनों को ई-मेल लिखकर हालचाल पता कर सकते हैं। आजकल सरकारी, प्राइवेट कम्पनियां ई-मेल के जरिये अपने कर्मचारियों से सम्पर्क में रहती हैं। ई-मेल का आविष्कार शिव अय्यादुरई नामक भारतीय ने 1978 में अमेरिका में किया था।

6. इंटरनेट Internet

पढ़ें: इंटरनेट पर निबंध

आज के समय में जिस व्यक्ति के पास इंटरनेट की सेवा नही होती है उसे पिछड़ा माना जाता है। इसके जरिये हम किसी को संदेश भेज सकते हैं। किसी भी चीज के बारे में इंटरनेट पर जानकारी ले सकते हैं। इसके द्वारा किसी को फोन कर सकते हैं। इंटरनेट का अविष्कार 1969 में अमेरिकी रक्षा विभाग DOD (Department of Defense) द्वारा पहली बार किया गया था।

7. कम्प्यूटर Computer

पढ़ें: कंप्यूटर पर निबंध

आज हम पूरी तरह से कप्यूटर पर आश्रित हो गये हैं। घर से लेकर ऑफिस में आज कम्प्यूटर देखा जा सकता है। घर में हम इस पर टाइपिंग, टिकट खरीदने, लोगो से सम्पर्क करने का काम करते हैं। जबकि ऑफिस में हम कम्पनी की सभी फाइलों को कम्प्यूटर में रखते है।

पहले के जमाने में व्यापार के बहीखाते, रिकोर्ड्स मोटे-मोटे रजिस्टर में लिखे जाते थे जिनको संभाल पर रखना बहुत मुश्किल काम था। अब ऑफिस के सभी रिकॉर्ड कप्यूटर में रखे जाते हैं। पहले कम्प्यूटर का अविष्कार चार्ल्स बेवेज ने 1822 में किया था। वो एक महान गणितज्ञ और दार्शनिक थे।

संचार के साधनों से लाभ Advantages of means of Communication

इससे अनेक प्रकार के लाभ है। अपने प्रियजनों से बात करने के लिए इंतज़ार नही करना पड़ता है। आधुनिक संचार के साधन बहुत ही सस्ते है। किसी भी वर्ग का व्यक्ति इनका लाभ उठा सकता है। आजकल व्यापारी अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए पूरी तरह संचार के साधनों जैसे फोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर, फैक्स, ई-मेल जैसी सुविधाओं पर आश्रित हो चुके है।

सरकारी तंत्र भी इसका बढ़ चढ़कर इस्तेमाल कर रहा है। आजकल विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिये किसी विभाग के काम की जांच की जाती है। सभी सरकारी विभाग आजकल ई-मेल की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। सूचनाओं का आदान प्रदान ई-मेल के जरिये कर रहे हैं।

निष्कर्ष Conclusion

आज विश्व के आधुनिक संचार साधनों की मदद से दुनिया के किसी भी हिस्से में संदेश प्रेषित करना बहुत आसान हो गया है। यदि संचार के साधनो को हम अपने जीवन से निकाल दें तो फिर से आदिकाल में पहुँच जायेंगे। इसके बिना जीवन अधूरा है।

इसके इस्तेमाल से आज सभी मित्रो, प्रियजनों, रिश्तेदारों का आपसी सम्पर्क बढ़ गया है। अब अपने प्रियजन से बात करने के लिए इंतजार नही करना पड़ता है। बस फोन उठाकर कुछ नम्बर डायल करके हम उनसे हाल चाल पूछ सकते है। संचार के आधुनिक साधन हमारे लिए किसी वरदान से कम नही है। आशा करते हैं आपको संचार के साधन पर निबंध व महत्व Essay on Means of Communication in Hindi अनुच्छेद से मदद मिली होगो।

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नमस्कार रीडर्स, मैं बिजय कुमार, 1Hindi का फाउंडर हूँ। मैं एक प्रोफेशनल Blogger हूँ। मैं अपने इस Hindi Website पर Motivational, Self Development और Online Technology, Health से जुड़े अपने Knowledge को Share करता हूँ।

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16 Comments

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आधुनिक युग में संचार के साधन अथवा संचार के आधुनिक साधन पर निबंध

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ADVERTISEMENTS:

आधुनिक युग में संचार के साधन अथवा संचार के आधुनिक साधन पर निबंध | Essay on Means of Communication in the Modern Era in Hindi!

संचार मानव की प्रगति के लिए अति महत्वपूर्ण है । यह विश्व के एक देश में बैठे लोगों को दूसरे देशों से जोड़ता है । आज मानव सभ्यता प्रगति की ओर अग्रसर है । इसका प्रमुख श्रेय संचार के आधुनिक साधनों को जाता है ।

संचार के क्षेत्र में मनुष्य की उपलब्धियों ने विश्व की दूरियों को समेटकर बहुत छोटा कर दिया है । प्राचीन काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने के लिए ‘दूत’ भेजे जाते थे जो प्राय: आवागमन के लिए घोड़ों आदि का प्रयोग करते थे । पक्षियों द्‌वारा संदेश भेजने के भी अनेक उदाहरण मिलते हैं । उस काल में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश भेजने में महीनों लग जाते थे परंतु आज स्थिति पूर्णत: बदल चुकी है ।

तार की खोज के साथ ही संचार के क्षेत्र में क्रांति का प्रारंभ हो गया । इसके द्‌वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ‘इलेक्ट्रॉनिक’ यंत्रों की सहायता से तार के माध्यम से संकेत प्रेषित किए जाने लगे । इसके पश्चात् ‘दूरभाष’ के आविष्कार ने तो संचार जगत में हलचल ही मचा दी ।

इसके द्‌वारा व्यक्ति घर बैठे सैकड़ों मील दूर अपने सगे-संबंधियों व परिजनों से बात कर सकता है । इसके साथ ही संचार को और अधिक सुचारू एवं सक्षम बनाने हेतु अनुसंधान प्रारंभ कर दिए गए ।

वर्तमान में संचार के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने अद्‌भुत सफलताएँ अर्जित की हैं । कंप्यूटर के आविष्कार के बाद इस क्षेत्र में प्रतिदिन नए आयाम स्थापित हो रहे हैं । संचार जगत में ‘ई-मेल’ की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती ही जा रही है । ई-मेल के उपयोग या इससे होने वाले लाभ बहुआयामी हैं ।

‘ई-मेल’ के माध्यम से विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से हम संपर्क स्थापित कर सकते हैं । सबसे महत्वपर्ण बात यह है कि इसमें होने वाला खर्च बहुत कम है । दूरभाष द्‌वारा स्थानीय बातचीत में उपभोक्ता को जो खर्च देना पड़ता है उतने ही खर्च में ई-मेल द्‌वारा विदेशों में बैठे व्यक्ति को संदेश भेजे जा सकते हैं ।

इलेक्ट्रॉनिक मेल द्‌वारा लोग द्‌विपक्षीय वार्ता भी कर सकते हैं । ‘ई-मेल’ के माध्यम से एक संदेश को हजारों लोगों को एक साथ भेजा जा सकता है । इस प्रकार हम देखते हैं कि ‘ई-मेल’ ने विश्व संचार के क्षेत्र को कितना विस्तृत कर दिया है ।

संचार के क्षेत्र में ‘विडियो कांफ्रेंसिंग’ भी वैज्ञानिकों की एक अद्‌भुत देन है । इसके माध्यम से दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे से मीलों दूर रहकर भी आपस में बातचीत कर सकते हैं तथा साथ ही परदे पर एक दूसरे को देख भी सकते है ।

इसके अतिरिक्त ‘फैक्स’ मशीन के द्‌वारा कागज पर लिखे संदेशों को दूरभाष लाइनों की सहायता से दूर बैठे व्यक्ति को केवल कुछ ही सैकेंडों में भेजा जा सकता है । ई-मेल को फैक्स का ही उत्तम रूप माना जा सकता है ।

इस प्रकार हम देखते हैं कि मनुष्य ने संचार के क्षेत्र में असीम सफलताएँ अर्जित की हैं । आज इन्हीं सफलताओं व उपलब्धियों के कारण विश्व के सभी देशों का आपसी संपर्क बढ़ा है ।

भारत में बैठे हुए भी दुनिया के दूसरे कोने जैसे अमरीका में होने वाली घटनाओं से हम तुरंत अवगत हो जाते हैं । संचार के क्षेत्र में मानव की उपलब्धियों के कारण ही आज संपूर्ण विश्व की दूरियाँ सिमटकर अत्यंत छोटी हो गई हैं ।

संचार के साधनों के विकास ने अन्य क्षेत्रों में वाणिज्यिक प्रगति को अपेक्षाकृत सरल बना दिया है । आज व्यापार से संबंधित कार्य संचार के साधनों के बदौलत घर या कार्यालय में बैठे-बैठे संपन्न किए जा सकते हैं ।

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कम्युनिकेशन स्किल्स क्या हैं?

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  • Updated on  
  • मई 16, 2024

Communication Skills in Hindi

आज के दौर में कम्युनिकेशन स्किल बहुत ज़रूरी हुनर है। अगर आपके पास यह नहीं है तो आप पीछे रह जाएंगे। अगर आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी है तो आप अपनी बातों से किसी को भी प्रभावित कर सकते हैं। आप चाहे जॉब करें या अपना खुद का व्यापार, हर जगह आपको कम्युनिकेशन स्किल की आवश्यकता पड़ती ही है। आज इस ब्लॉग में हम Communication Skill in Hindi के बारे में विस्तार से जानेंगे।

This Blog Includes:

कम्युनिकेशन स्किल्स क्या होती हैं, संचार कौशल के प्रकार , कम्युनिकेशन स्किल्स के साधन, संचार के साधनों में अंतर  , कम्युनिकेशन के अंग , कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर कैसे करें, प्रोफेशनल लाइफ में, स्टूडेंट लाइफ में, संचार में आने वाली बाधाएं, संचार कौशल के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तकें.

कम्युनिकेशन (Communication Skill in Hindi) को हिंदी में संचार या सम्प्रेक्षण (ऑब्जरवेशन) कहते हैं। इसका उद्भव लैटिन भाषा में “Communis” शब्द से हुआ है। कम्युनिकेशन का अर्थ होता है सूचना का आदान-प्रदान। कम्युनिकेशन थोड़ी कठिन प्रक्रिया है। कम्युनिकेशन स्किल्स इंसान के व्यक्तित्व का अभिग अंग है, कम्युनिकेशन का मतलब है आप अपनी बात को लोगों के सामने कितने प्रभावी रूप से सामने रखते हैं। किसी व्यक्ति से आपके बात करने के तरीके को कम्युनिकेशन स्किल्स कहते हैं। आप किसी भी क्षेत्र में क्यों नहीं हो अगर आपका बात करने का तरीका सही है तो आप सफल हो जाएंगे।

संचार कौशल के प्रकार नीचे दिए गए हैं-

  • मौखिक संचार (verbal communication skills)
  • लिखित संचार (written communication skills)
  • अमौखिक संचार (non-verbal communication skills)
  • मौखिक संचार- ऐसी संचार प्रणाली है जिसमे हम एक या एक से अधिक लोगो से  बात करके सन्देश का सम्प्रेक्षण करते है।  इसका उपयोग समूह में , टेलीफोन  के माध्यम से करते है। इसमें आप अपने शब्दो से किसी व्यक्ति की मना सकते है।  इसका हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है इस लिए आपकी  मौखिक संचार सही होना चाहिए।
  • लिखित संचार- लिखित संचार का मतलब अपनी बात को लिखित रूप से समझाना आपके लिखने की कला व्यक्तित्व को प्रभावित कर सकती है।यह विज्ञापन सामग्री, प्रिंट मीडिया अन्य संस्थाओं से संचार के लिए जरूरी है।
  • अमौखिक संचार- इसमें आप अपनी बॉडी लैंगवेज के द्वारा किसी से बातचीत कर रहे हैं। उसे अपनी बॉडी लैंग्वेज से अपनी बात को मनवाना नॉन वर्बल कम्युनिकेशन स्किल्स कहते हैं।  बॉडी लैंग्वेज से कहीं लोग आपके पर्सनैलिटी का अंदाजा लगा सकते हैं।

Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स के साधन नीचे दिए गए हैं-

  • सेल्फ कांसेप्ट: सेल्फ कांसेप्ट जिसे हम आत्म जागरूकता यानि सेल्फ अवारनेस इसमें ये पता चलेगा की एक व्यक्ति खुद को दूसरे के सामने किस तरह से दिखाता हैं ।
  • धारणा: धारणा यानी परसेप्शन जिसमें धारणा बनाकर आप बाहरी दुनिया के बारे में विचार बनाते है । ये सेल्फ कांसेप्ट से जुड़ा है जो अपने अन्दर और भरी दुनिया में सामंजस्यपूर्ण बनाते हैं ।
  • उम्मीद: उम्मीद जो भविष्य में जीवन में होने वाले चीजों के बारे में हैं।
  • इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन: इसमें इसमें दो लोग आपस में बात करते हैं, जिसमे एक चैनल शब्द , विचारों या संदेशो के रूप में बात करते हैं ।
  • ग्रुप कम्युनिकेशन: इसमें कम्युनिकेशन एक समूह यानी ग्रुप के बीच होता है। हर व्यक्ति किसी न किसी ग्रुप का हिस्सा होता ही है जब किसी ग्रुप में एक विशेष टॉपिक पर चर्चा होती हैं तो वो ग्रुप कम्युनिकेशन कहलाता है। 
  • मास कम्युनिकेशन: ये कम्युनिकेशन का बड़ा रूप होता हैं जिसमें हम लोगों तक किसी मीडियम के द्वारा सूचना पहुंचाते है जैसे : टेलीविज़न , रेडियो, सोशल मीडिया आदि। 

Communication Skill in Hindi में संचार कौशल में अंग कितने होते हैं, यह नीचे दिए गए हैं-

  • प्रेषक (sender): वह व्यक्ति है जो अपने विचारों को दूसरे व्यक्ति तक पहुंचते है, उस प्रेषक कहते हैं।
  • सन्देश (message): यह  संचार का मुख्य विषय होता है, जिसमें कोई भी सूचना लिखित,  मौखिक या अलिखित किसी भी माध्यम से सम्प्रेषित की जा सकती है।
  • एन्कोडिंग (encoding): सूचना भेजने वाला व्यक्ति अपने विचारों को अपनी भाषा में या विभिन्न चिन्हों की एक श्रृंखला के रूप में व्यवस्थित करता है और फिर  इस सूचना को आगे भेजता है।
  • संचार माध्यम (communication channel): सन्देश भेजने के लिए एक ऐसे  माध्यम की जरूरत पड़ती है, जिसके द्वारा वह अपने सन्देश को आगे भेज सके संचार माध्यम औपचारिक अथवा अनौपचारिक किसी भी प्रकार का हो सकता है । व्यक्तिगत, पारिवारिक तथा सामाजिक स्तर पर अनौपचारिक माध्यम का प्रयोग किया जाता है जबकि स्कूल किसी संगठन में सन्देश भेजने के लिये  औपचारिक माध्यम  का प्रयोग किया जाता है। 
  • डिकोडिंग (decoding): सन्देश प्राप्त होने के बाद प्राप्तकर्ता सन्देश को समझता है। यदि सन्देश किसी कूट भाषा या सांकेतिक भाषा में लिखा है, तो वह इस संदेश को समझने के लिए अपने शब्दों में उसे डिकोड करता है, जिससे उसे सन्देश समझने में सहायता मिलती है।
  •   प्राप्तकर्ता (receiver): वह व्यक्ति जो संदेश प्राप्त करता है वो प्राप्तकर्ता कहलाता है।

Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स को बेहतर बनाने के लिए नीचे दिए गए पॉइंट्स को का पालन करें, तभी आप अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स सुधार सकते हैं-

  • सरल भाषा- प्रेषक द्वारा सन्देश में सरल भाषा का उपयोग करें और तकनीकी और कठिन भाषा के प्रयोग से बचना चाहिए। अपनी बात को सही से पैश करने के लिए सही शब्दो का चयन करना बहुत जरूरी है, सन्देश में ऐसी भाषा प्रयोग होना चाहिए जो सन्देश प्राप्तकर्ता को आसानी से समझ आए। 
  • व्यवस्थित सन्देश – सन्देश का समय, विषय, स्थान उद्देश्य, सन्देश प्राप्तकर्ता सभी पहले से व्यवस्थित होने चाहिए।
  • पक्षपात से बचें- संदेश प्राप्त करने एवं भेजने वाले दोनों को पूर्वाग्रह से बचना चाहिए। उन्हें संदेश पर खुले और स्पष्ट तरीके से विचार करना चाहिए ।उन्हें खुद के ही विचार को सही नहीं समझना चाहिए।
  • बॉडी लैंग्वेज – कम्युनिकेशन स्किल्स  में बॉडी लैंग्वेज का बहुत महत्व होता है, बातचीत करते समय अपने बॉडी लैंग्वेज को सही रखना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को कन्विंस में बॉडी लैंग्वेज का बड़ा रोल है। अपनी बॉडी लैंग्वेज को सुधर करने के लिए रोज़ अभ्यास करे ,अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स के लिए। 
  • अच्छा श्रोता- आपको अच्छा वक्ता होने के साथ-साथ एकअच्छा श्रोता भी होना चाहिए अगर अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स को अच्छा बनाना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको लोगों की बात को ध्यान से सुनना पड़ेगा।
  • आई कोन्टक्ट- अपने वार्तालाप को बेहतर बनाने के लिए ऑय कोन्टक्ट होना चाहिए , जिससे सामने वाला व्यक्ति आपकी बातों पर विश्वास कर सकें। अगर आप बात करते समय अपनी नज़रों को चुराते हैं तो कोई भी व्यक्ति आपकी बातों पर विश्वास नहीं करेगा।  
  • कॉंफिडेंट और सकारात्मक रहें- जब आप किसी के सामने अपनी बात रखते है तो उसे प्रेजेंट करने में विश्वास बनाकर रखे और अपनी बात कहे। इसके लिए पहले थोड़ा सोचे उसके बाद ही अपनी बात कहे। अगर आप कॉंफिडेंट दिखते है तो आप अपनी बात को सही साबित कर सकते हैं।
  • पॉइंट टू पॉइंट बात करें- हम अपनी बातों को तभी समझा पाते है जब हम पॉइंट टू पॉइंट बात करते हैं। बहुत से लोग ऐसा करते है कि किसी बात को एक ही बार में एक साथ बोल देते है जिससे सामने वाले व्यक्ति को कुछ भी समझ में नहीं आता है। इसके लिए अपनी बातों को पॉइंट टू पॉइंट रखे जिससे सुनने वाले को आपकी सभी बाते अच्छे से समझ में आए।
  • सही शब्दों का प्रयोग करें- जब आप किसी से बात करते है तो गलत शब्दों का प्रयोग न करें। सही शब्दों का चयन करे, कभी भी काम चलाऊ जैसे शब्दों का प्रयोग न करें। जब आप अच्छे और आकर्षित शब्दों का प्रयोग करते है तो लोग आपसे आकर्षित होते है। और आपकी बात ध्यान से सुनते है तथा आपको एक अच्छा व्यक्ति समझते हैं।
  • बात पूरी करें- कभी भी अपनी बातों को अधूरा ना छोड़े बात को पूरा करे और सामने वाले की बात को भी पूरा होने दे। उनकी बातों को भी ना काटें, नहीं तो सामने वाले व्यक्ति को लगेगा की आपको उनकी बातों में रूचि नहीं है। एक टीम या समूह में, दूसरों को बिना किसी रुकावट के बोलने की अनुमति देना एक आवश्यक संचार कौशल के रूप में देखा जाता है।

कम्युनिकेशन स्किल्स का महत्व 

Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स का हमारी लाइफ में बहुत बड़ा योगदान है, इसका महत्व हर छेत्र में अलग अलग हो सकता है तो आइए देखते हैं-

प्रोफेशनल लाइफ में कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी (best communication skills in hindi) होना बहुत ज़रूरी है, यह हमारी मदद करती है। ऑफिस में खुद को लीडर की तरह पेश करना, अपनी बात दूसरों के आगे अचे तरीके से रखना जिससे प्रदर्शन में और सुधार आता है। अपने सहयोगियों के साथ अच्छे सबंध और उनका भरोसा जीतने में मदद करता है।   

खराब कम्यूनिकेशन स्किल के कारण कई छात्र खुद से परेशान हैं और ठीक से लोगों से बात नहीं कर पाते। खराब कम्युनिकेशन स्किल्स की वजह से कही न कही एक होनहार छात्र पीछे रह जाता है, यह आपको उन चीज़ों पर शिक्षकों के साथ बात करने में मदद करेगा जो आपके लिए कठिन हैं, आपके साथी छात्रों के साथ संबंध सुधरने में आपकी मदद करेगा। अन्य छात्रों की तुलना में बहुत कम मानसिक तनाव होगा क्योंकि आप एक बेहतर संप्रेषक हैं। 

 संचार प्रक्रिया में बाधा एक प्रकार का अवरोध है, जो संदेश के प्रभाव को कमजोर कर देता है। परिणामत: संदेश को ग्रहण करने व उसके अर्थ को समझने में परेशानी होती है। इसमें विकृत फीडबैक मिलता है। संचार प्रक्रिया में कोई न कोई बाधा अवश्य आती है। यह बाधा निम्नलिखित हो सकती है-               

  • शारीरिक बाधा 
  • भाषाई बाधा 
  • सांस्कृतिक बाधा 
  • भावनात्मक बाधा 
  • अवधारणात्मक बाधा 

शारीरिक बाधा :  इसका तात्पर्य संचारक और रिसीवर में शारीरिक अक्षमता से है, जिसके कारण संदेश को सम्प्रेषित करने या ग्रहण करने या अर्थ को समझने में बाधा उत्पन्न होती है। (best communication skills in hindi) संचार प्रक्रिया में संदेश के प्रभाव को कमजोर करने वाली प्रमुख शारीरिक बाधाएं निम्नलिखित हैं-

  • उच्चारण क्षमता का कमजोर होना
  • श्रवण क्षमता का कमजोर होना
  • दृश्य क्षमता का कमजोर होना

भाषाई बाधा :  इसका तात्पर्य उन अवरोधों से है, जिनका सम्बन्ध भाषा से होता है। मरफ और पैक के अनुसार- शब्दकोष में रन शब्द के 110 अर्थ है। इनमें 71 क्रिया, 35 संज्ञा तथा 4 विश्लेषण के रूप में हैं। ऐसी स्थिति में संचारक जिस अर्थ में रन शब्द का प्रयोग किया होता है, उस अर्थ को रिसीवर समझ लेता है तो संचार प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न नहीं होता है। इसके विपरीत, यदि गलत अर्थ समझता है तो भाषाई बाधा उत्पन्न होता है। भाषाई बाधा निम्नलिखित हैं :-

  • भाषा का अल्प ज्ञान होना
  • दोषपूर्ण अनुवाद होना
  • तकनीकी भाषा का ज्ञान न होना

यहाँ Communication Skill in Hindi में कम्युनिकेशन स्किल्स में सुधार करने के लिए विशेष सलाह दी जा रही है :

  • धारा प्रवाह से बोलें।
  • यह सुनिश्चित करें कि लोग आपकी बात साफ़ साफ़ सुन पा रहे हैं।
  • अन्य लोगों की बात को न काटें। यह बुरा शिष्टाचार माना जाता है।
  • आत्मविश्वास के साथ बोलें। दूसरे लोगों की सोच की चिंता न करें।
  • बोलते समय व्याकरण का ध्यान रखें।
  • आईने के सामने बोलने की प्रैक्टिस करें। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।

Communication Skill in Hindi के अंतर्गत संचार कौशल के लिए बेस्ट किताबों की लिस्ट नीचे दी गई है-

कम्युनिकेशन के 6 तरीके इस प्रकार हैं: बॉडी लैंग्वेज सही रखें, बातें ध्यान से सुनें, व्यक्ति को समझें, सही शब्दों का प्रयोग करें, रोज प्रैक्टिस करें, पॉइंट टू पॉइंट बात करें आदि।

कम्युनिकेशन को हिंदी में संचार या संप्रेषण कहते हैं। इसका उद्भव लैटिन भाषा में “Communis” शब्द से हुआ हैं। कम्युनिकेशन का अर्थ होता है सूचना का आदान-प्रदान करना।

संचार कौशल के प्रकार ऐसे हैं: मौखिक संचार, लिखित संचार और अमौखिक संचार।

उम्मीद है, ये ब्लॉग आपकी Communication Skills in Hindi को सुधारने में आपकी मदद करेगा। ऐसे ही फैक्ट आधारित ब्लॉग्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहिए।

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Means Of Communication Essay In Hindi

संचार के साधन पर निबंध – Means Of Communication Essay In Hindi

संचार के साधन पर निबंध – (essay on means of communication in hindi), बढ़ते संचार के साधन : सिमटता संसार – means of increasing communication: the shrinking world.

  • सामाजिकता क्या है
  • सामाजिकता और संसार.
  • सामाजिकता का घटना,
  • संचार साधनों का विस्तार,
  • संचार साधनों का सामाजिकता पर प्रभाव,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

संचार के साधन पर निबंध – Sanchaar Ke Saadhan Par Nibandh

प्रस्तावना– यह कहना कठिन है कि मनुष्य ने कब समाज में रहना आरम्भ किया। आज जो सामाजिक जीवन हमारे लिए अपरिहार्य बन गया है उसका आरम्भ कब और कैसे हुआ होगा, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। निश्चय ही पहले परिवार अस्तित्व में आए और फिर सामूहिकता या सामाजिकता के लाभ देख और अनुभव करके परिवारों के समूह समाज में बदल गए।

परिवार को समाज या सामाजिकता की प्रथम पाठशाला कहा जाता है। परिवार में ही बालक को प्रेम, सहानुभूति, सहयोग और अनुशासन की शिक्षा मिलती है। इस सहज प्रशिक्षण का वह बड़े परिवार अर्थात् समाज में प्रयोग करता है? व्यक्ति की सुरक्षा, सम्मान और आकांक्षाएँ समाज में रहकर ही सम्भव और परिपूर्ण होती हैं।

Sanchaar Ke Saadhan Par Nibandh

सामाजिकता क्या है? – What is Sociality?

समाज की रीति– नीति, परम्परा और आस्थाओं का पालन करते हुए, समाज के प्रति अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए, एक सभ्य नागरिक की तरह समाज में रहना ही सामाजिकता है। जो व्यक्ति सामाजिक सम्बन्धों के प्रति संवेदनशील नहीं होता, अपने आप में या अपने परिवार तक ही सीमित रहता है उसे असामाजिक कहा जाता है। मनुष्य को कदम–कदम पर समाज की आवश्यकता होती है।

जन्म, मृत्यु, विवाह, उत्सव, संकट के समय सामाजिकता का महत्त्व समझ में आता है। सामाजिकता रहित व्यक्ति स्वयं को एकाकी और असुरक्षित अनुभव करता है। सामाजिकता ही मनुष्य को सम्मान और लोकप्रियता दिलाती है। मिलनसार व्यक्ति के कठिन कार्य और समस्याएँ भी सामाजिकता के कारण सरल हो जाते हैं।

सामाजिकता और संसार– आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का कथन है कि मनुष्य अपना संसार स्वयं बनाता है, उसके मित्र, सम्बन्धी और परिचित ही उसका संसार होते हैं। इनसे ही वह मिलना और बातचीत करना चाहता है। इस तरह समाज का व्यापक और विस्तृत रूप ही संसार है।

संचार साधनों ने हमारे परिचय क्षेत्र का विस्तार किया है, परन्तु इन साधनों के कारण हमारे निजी और प्रत्यक्ष सम्पर्क भी घटे हैं। इन साधनों ने मनुष्य को अपने आकर्षण के जाल में इतना उलझा लिया है कि उसका सम्पर्क क्षेत्र सीमित हो गया है। वह आत्मकेन्द्रित हो गया है।

सामाजिकता का घटना– आजकल सामाजिकता की भावना निरन्तर घटती जा रही है। इसको ही संसार का सिमटना कह सकते हैं। सामाजिकता घटने के अनेक कारण हैं। इनमें अहंकार, व्यस्तता, श्रेष्ठता की भावना, सम्पन्नता, नगर–सभ्यता का प्रभाव, समूह–भावना की कमी आदि प्रमुख हैं। पारस्परिक औपचारिक सम्बन्धों की वृद्धि के कारण लोगों में घुलने–मिलने की प्रवृत्ति कम हो गई हैं महानगरों में एक ही भवन में रहने वाले एक–दूसरे से अपरिचित बने रहते हैं।

पहले पूरे मोहल्ले में लोग एक–दूसरे को जानते–पहचानते थे, एक–दूसरे के यहाँ आते–जाते थे। अब व्यवसाय और नौकरी की बाध्यता के कारण भी लोग सुबह से शाम तक व्यस्त रहते हैं।

संचार साधनों का विस्तार– पहले संचार साधनों की अत्यन्त कमी थी इसलिए व्यक्ति से व्यक्ति के मिलने के अवसर काफी कम होते थे। दूर रहने वाले लोगों से पत्रों के माध्यम से समाचारों का आदान–प्रदान होता था। आज व्यक्ति को संचार के अनेक साधन उपलब्ध हैं। टेलीफोन है, मोबाइल फोन है, फैक्स है, इन्टरनेट है।

आने–जाने, प्रत्यक्ष भेंट करने की आवश्यकता नहीं, घर बैठे उसके सारे काम हो जाते हैं। पहले त्योहारों पर लोग एक–दूसरे के घर जाते थे, शुभकामनाएँ देते थे। अब तो एस. एम.एस से ही काम चल जाता है। टेलीकान्फ्रेंस के द्वारा साक्षात्कार और बैठक सम्पन्न हो जाती है।

संचार साधनों का सामाजिकता पर प्रभाव– संचार साधनों की विविधता और सुलभता. ने मनुष्य के सामाजिक सम्बन्धों को गहराई से प्रभावित किया है। वह आत्मकेन्द्रित होता जा रहा है उसकी एक निजी दुनिया बन गई है। संचार उपकरण ही उसके संगी–साथी हैं। मोबाइल हर समय आपके साथ और हाथ में है। उठते, बैठते, चलते, यात्रा में, बाजार में नगर में, जंगल में, हर समय मोबाइल आपको सम्पर्क की सुविधा देता है।

फिर आपको समाज के बीच जाने की क्या आवश्यकता है। अब निबन्ध मनोरंजन के लिए मित्रों के बीच जाने या उन्हें बुलाने की आवश्यकता नहीं। अकेला टी.वी आपके पूरे परिवार का मनोरंजन कर सकता है। इन्टरनेट से हर सुविधा घर बैठे हाजिर है। पुस्तकालय में जाने का कष्ट क्यों किया जाय।

एक क्लिक पर पुस्तकें आपके कम्प्यूटर स्क्रीन पर उपस्थित हैं। नौकरी, विवाह, व्यवसाय हर समस्या का हल नेट कर सकता है। संचार–साधनों ने व्यक्ति की सामाजिक गतिविधियों को अत्यन्त सीमित कर दिया है।

उपसंहार– आज मनुष्य संचार–साधनों की चकाचौंध से घिरकर समाज से कटता जा रहा है। मोबाइल, नेट और टी.वी. जा रहा है। सामाजिकता की निरन्तर हो रही कमी ने व्यक्ति के अनेक मौलिक गणों को निस्तेज कर दिया है।

इस नशे से सावधान न हुए तो नई–पीढ़ी धीरे–धीरे अवसाद, मोटापे, मन्द–दृष्टि आदि रोगों की शिकार हो जाएगी। लोग ‘मैं’ तक ही केन्द्रित हो जायेंगे ‘हम’ के रूप में सोचना भूल जाएँगे। अतः संचार–साधनों का सीमित और आवश्यक उपयोग ही समाज में होना चाहिए।

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