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- Jivan Parichay (जीवन परिचय) /
Dr Bhimrao Ambedkar Biography : डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय
- Updated on
- अगस्त 10, 2024
डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय समाज के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक, और संविधान निर्माता थे। उनकी जीवन यात्रा और संघर्षों ने उन्हें भारतीय सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक विशेष स्थान दिलाया। ऐसे सहृदय नेता का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित ‘महू’ में हुआ था जिसका नाम आज बदलकर डॉ.अंबेडकर नगर कर दिया गया है। डॉ. भीमराव अंबेडकर जाति से दलित थे। उनकी जाति को अछूत जाति माना जाता था। इसलिए उनका बचपन बहुत ही मुश्किलों में व्यतीत हुआ था। डॉ. भीमराव अंबेडकर के बारे में अधिक जानने के लिए (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) यह ब्लॉग अंत तक पढ़े।
उससे पहले डॉ भीमराव अंबेडकर से संबंधित जानकारी आप नीचे दिए गए टेबल में देख सकते हैं :
This Blog Includes:
बाबासाहेब अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन, बाबासाहेब अंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा, बाबासाहेब अंबेडकर की उच्च शिक्षा, बाबासाहेब अंबेडकर के पास कितनी डिग्री थी, प्रयत्नशील सामाजिक सुधारक डॉ भीमराव अंबेडकर, भीम राव अंबेडकर जीवनी: छुआछूत विरोधी संघर्ष, डॉ भीमराव अंबेडकर बनाम गांधी जी, डॉ भीमराव अंबेडकर राजनीतिक सफर, पुरस्कार एवं सम्मान, डॉ भीमराव अंबेडकर का निधन, डॉ भीमराव अंबेडकर की रचनावली, डॉ भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकें, बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में रोचक तथ्य, बाबासाहेब अंबेडकर के कुछ महान विचार.
डॉ. भीमराव अंबेडकर (Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi) और उनके पिता मुंबई शहर के एक ऐसे मकान में रहने गए जहां एक ही कमरे में पहले से बेहद गरीब लोग रहते थे इसलिए दोनों के एक साथ सोने की व्यवस्था नहीं थी तो बाबासाहेब अंबेडकर और उनके पिता बारी-बारी से सोया करते थे। जब उनके पिता सोते थे तो डॉ भीमराव अंबेडकर दीपक की हल्की सी रोशनी में पढ़ते थे। भीमराव अंबेडकर संस्कृत पढ़ने के इच्छुक थे, परंतु छुआछूत की प्रथा के अनुसार और निम्न जाति के होने के कारण वे संस्कृत नहीं पढ़ सकते थे। परंतु ऐसी विडंबना थी कि विदेशी लोग संस्कृत पढ़ सकते थे। भीम राव अंबेडकर जीवनी में अपमानजनक स्थितियों का सामना करते हुए डॉ भीमराव अंबेडकर ने धैर्य और वीरता से अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई।
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सन् 1907 में मैट्रिकुलेशन पास करने के बाद ‘ एली फिंस्टम कॉलेज ‘ में सन् 1912 में ग्रेजुएट हुए। सन 1913 में उन्होंने 15 प्राचीन भारतीय व्यापार पर एक शोध प्रबंध लिखा था। डॉ.भीमराव अंबेडकर ने वर्ष 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए की डिग्री प्राप्त की। सन् 1917 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर ली। बता दें कि उन्होंने ‘नेशनल डेवलपमेंट फॉर इंडिया एंड एनालिटिकल स्टडी’ विषय पर शोध किया। वर्ष 1917 में ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में उन्होंने दाखिला लिया लेकिन साधन के अभाव के कारण वह अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए।
कुछ समय बाद लंदन जाकर ‘ लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स ‘ से अधूरी पढ़ाई उन्होंने पूरी की। इसके साथ-साथ एमएससी और बार एट-लॉ की डिग्री भी प्राप्त की। वह अपने युग के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे राजनेता और एवं विचारक थे। बता दें कि वह (भीम राव अंबेडकर जीवनी) कुल 64 विषयों में मास्टर थे, 9 भाषाओं के जानकार थे, इसके साथ ही उन्होंने विश्व के सभी धर्मों के बारे में पढ़ाई की थी।
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कोलंबिया विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में अंबेडकर वर्ष 1915 -1917 में 22 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। जून 1915 में उन्होंने अपनी एम.ए. परीक्षा पास की, जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर रिसर्च कार्य प्रस्तुत किया।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अपने प्रोफेसरों और दोस्तों के साथ अंबेडकर सन् 1916 – 17 से सन् 1922 तक एक बैरिस्टर के रूप में लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया।
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भारत रत्न Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के पास 32 डिग्रियों के साथ 9 भाषाओं के सबसे बेहतर जानकार थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में मात्र 2 साल 3 महीने में 8 साल की पढ़ाई पूरी की थी। वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑल साइंस’ नामक एक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं। प्रथम विश्व युद्ध की वजह से उनको भारत वापस लौटना पड़ा। कुछ समय बाद उन्होंने बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में नौकरी प्रारंभ की। बाद में उनको सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गयी। कोल्हापुर के शाहू महाराज की मदद से एक बार फिर वह उच्च शिक्षा के लिए लंदन गए।
डॉ बी. आर. अंबेडकर ने इतनी असमानताओं का सामना करने के बाद सामाजिक सुधार का मोर्चा उठाया। अंबेडकर जी ने ऑल इंडिया क्लासेज एसोसिएशन का संगठन किया। सामाजिक सुधार को लेकर वह बहुत प्रयत्नशील थे। ब्राह्मणों द्वारा छुआछूत की प्रथा को मानना, मंदिरों में प्रवेश ना करने देना, दलितों से भेदभाव, शिक्षकों द्वारा भेदभाव आदि सामाजिक सुधार करने का प्रयत्न किया। परंतु विदेशी शासन काल होने कारण यह ज्यादा सफल नहीं हो पाया। विदेशी शासकों को यह डर था कि यदि यह लोग एक हो जाएंगे तो परंपरावादी और रूढ़िवादी वर्ग उनका विरोधी हो जाएगा।
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डॉ भीमराव अंबेडकर छुआछूत की पीड़ा को जन्म से ही झेलते आए थे। जाति प्रथा और ऊंच-नीच का भेदभाव वह बचपन से ही देखते आए थे और इसके स्वरूप उन्होंने काफी अपमान का सामना किया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष किया और इसके जरिए वे निम्न जाति वालों को छुआछूत की प्रथा से मुक्ति दिलाना चाहते थे और समाज में बराबर का दर्जा दिलाना चाहते थे। 1920 के दशक में मुंबई में डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपने भाषण में यह साफ-साफ कहा था कि “जहां मेरे व्यक्तिगत हित और देश हित में टकराव होगा वहां पर मैं देश के हित को प्राथमिकता दूंगा परंतु जहां दलित जातियों के हित और देश के हित में टकराव होगा वहां मैं दलित जातियों को प्राथमिकता दूंगा।” वे दलित वर्ग के लिए मसीहा के रूप में सामने आए जिन्होंने अपने अंतिम क्षण तक दलितों को सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष किया। सन् 1927 में अछूतों को लेने के लिए एक सत्याग्रह का नेतृत्व किया। और सन् 1937 में मुंबई में उच्च न्यायालय में मुकदमा जीत लिया।
सन् 1932 में पुणे समझौते में गांधी और अंबेडकर आपसी विचार विमर्श के बाद एक मार्गदर्शन पर सहमत हुए। वर्ष 1945 में अंबेडकर ने हरिजनों का पक्ष लेने के लिए महात्मा गांधी के दावे को चुनौती दी और व्हॉट कांग्रेस एंड गांधी हैव डन टू द अनटचेबल्स ( सन् 1945) नामक लेख लिखा l सन् 1947 अंबेडकर भारत सरकार के कानून मंत्री बने डॉ. भीमराव अंबेडकर गांधीजी और कांग्रेस के उग्र आलोचक है । 1932 में ग्राम पंचायत बिल पर मुंबई की विधानसभा में बोलते हुए अंबेडकर जी ने कहा : बहुतों ने ग्राम पंचायतों की प्राचीन व्यवस्था की बहुत प्रशंसा की है । कुछ लोगों ने उन्हें ग्रामीण प्रजातंत्र कहां है । इन देहाती प्रजातंत्रों का गुण जो भी हो, मुझे यह कहने में जरा भी दुविधा नहीं है कि वे भारत में सार्वजनिक जीवन के लिए अभिशाप हैं । यदि भारत राष्ट्रवाद उत्पन्न करने में सफल नहीं हुआ यदि भारत राष्ट्रीय भावना के निर्माण में सफल नहीं हुआ, तो इसका मुख्य कारण मेरी समझ में ग्राम व्यवस्था का अस्तित्व है।
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वर्ष 1936 में बाबा साहेब जी ने स्वतंत्र मजदूर पार्टी का गठन किया था। सन् 1937 के केन्द्रीय विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को 15 सीट की जीत मिली। अम्बेडकर जी अपनी इस पार्टी को आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी में बदल दिया, इस पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा। कांग्रेस व महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन नाम दिया, जिससे सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने लगे, लेकिन अम्बेडकर जी को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया था। उनका कहना था अछूते लोग भी हमारे समाज का एक हिस्सा है, वे भी बाकि लोगों की तरह आम व्यक्ति ही हैं। अम्बेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया व वाइसराय एग्जीक्यूटिव परिषद उन्हें लेबर का मंत्री बनाया गया था। बाबा साहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री भी बने थे।
बाबा साहेब अंबेडकर को अपने महान कार्यों के चलते कई पुरस्कार भी मिले थे, जो इस प्रकार हैं:
- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का स्मारक दिल्ली स्थित उनके घर 26 अलीपुर रोड में स्थापित किया गया है।
- अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
- 1990 में उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
- कई सार्वजनिक संस्थान का नाम उनके सम्मान में उनके नाम पर रखा गया है जैसे कि हैदराबाद, आंध्र प्रदेश का डॉ. अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय, बी आर अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय- मुजफ्फरपुर।
- डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नागपुर में है, जो पहले सोनेगांव हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता था।
- अंबेडकर का एक बड़ा आधिकारिक चित्र भारतीय संसद भवन में प्रदर्शित किया गया है।
डॉ भीमराव अंबेडकर सन 1948 से मधुमेह (डायबिटीज) से पीड़ित थे और वह 1954 तक बहुत बीमार रहे थे। 3 दिसंबर 1956 को डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी अंतिम पांडुलिपि बुद्ध और धम्म उनके को पूरा किया और 6 दिसंबर 1956 को अपने घर दिल्ली में अपनी अंतिम सांस ली थी। बाबा साहेब का अंतिम संस्कार चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में किया गया। इस दिन से अंबेडकर जयंती पर सार्वजनिक अवकाश रखा जाता है।
भीम राव अंबेडकर जीवनी में महत्वपूर्ण दो रचनावलियों के नाम नीचे दिए गए हैं-
- डॉ बाबासाहेब अंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेज [महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रकाशित]
- साहेब डॉ अंबेडकर संपूर्ण वाड़्मय [भारत सरकार द्वारा प्रकाशित]
भीम राव अंबेडकर जीवनी में बाबासाहेब समाज सुधारक होने के साथ-साथ लेखक भी थे। लेखन में रूचि होने के कारण उन्होंने कई पुस्तकें लिखी। अंबेडकर जी द्वारा लिखित पुस्तकों की लिस्ट नीचे दी गई है-
- भारत का राष्ट्रीय अंश
- भारत में जातियां और उनका मशीनीकरण
- भारत में लघु कृषि और उनके उपचार
- ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेंद्रीकरण
- रुपए की समस्या: उद्भव और समाधान
- ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय
- बहिष्कृत भारत
- जाति विच्छेद
- संघ बनाम स्वतंत्रता
- पाकिस्तान पर विचार
- श्री गांधी एवं अछूतों की विमुक्ति
- रानाडे,गांधी और जिन्ना
- शूद्र कौन और कैसे
- भगवान बुद्ध और बौद्ध धर्म
- महाराष्ट्र भाषाई प्रांत
Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के बारे में रोचक तथ्य नीचे दिए गए हैं-
- भारत के झंडे पर अशोक चक्र लगवाने वाले डाॅ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ही थे।
- डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर लगभग 9 भाषाओं को जानते थे।
- भीमराव अंबेडकर ने 21 साल की उम्र तक लगभग सभी धर्मों की पढ़ाई कर ली थी।
- भीमराव अंबेडकर ऐसे पहले इन्सान थे जिन्होंने अर्थशास्त्र में PhD विदेश जाकर की थी।
- भीमराव अंबेडकर के पास लगभग 32 डिग्रियां थी।
- बाबासाहेब आजाद भारत के पहले कानून मंत्री थे।
- बाबासाहेब ने दो बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन दोनों बार हार गए थे।
- भीमराव अम्बेडकर हिन्दू महार जाति के थे, जिन्हें समाज अछूत मनाता था।
- भीमराव अम्बेडकर कश्मीर में लगी धारा नंबर 370 के खिलाफ थे।
Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के कुछ महान विचार नीचे दिए गए हैं-
1.जो कौम अपना इतिहास तक नहीं जानती है, वे कौम कभी अपना इतिहास भी नहीं बना सकती है।
2. जीवन लंबा होने के बजाए महान होना चाहिए।
3.बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
4. संविधान यह एक मात्र वकीलों का दस्तावेज नहीं। यह जीवन का एक माध्यम है।
5.जो धर्म जन्म से एक को श्रेष्ठ और दूसरे को नीच बताये वह धर्म नहीं, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र है।
6.जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिए बेईमानी है।
7.मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर है, एक विचार को प्रचार प्रसार की जरूरत होती है, जैसे कि एक पौधे को पानी की नहीं तो दोनों मुरझा कर मर जाते हैं ।
8.यदि मुझे लगा संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो इसे जलानेवाला सबसे पहले मैं रहूँगा।
9. कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए।
10.हिम्मत इतनी बड़ी रखो के किस्मत छोटी लगने लगे ।
11.किसी का भी स्वाद बदला जा सकता है लेकिन ज़हर को अमृत में परिवर्तित नही किया जा सकता ।
12.यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
13.अपने भाग्य के बजाए अपनी मजबूती पर विश्वास करो।
14.मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
15.जो व्यक्ति अपनी मौत को हमेशा याद रखता है, वह सदा अच्छे कार्य में लगा रहता है।
बाबा साहेब की मृत्यु मधुमेय (डायबिटीज) से हुई थी।
भारतीय संविधान के निर्माता डॉ बाबा साहेब अंबेडकर हैं।
बाबा साहेब के गुरु का नाम कृष्ण केशव अंबेडकर था।
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33 comments
Very good bhai bahut achha likha thank you Jay bheem💙💙jay samvidhan namo buddhay
Nice and thanks 👍👍
I am very impressed 💯💯💯
इतने कम शब्दों में बहुत सुंदर व्याख्या की बहुत-बहुत धन्
Very nice 👌👍👏, Jai Bheem 🙏
Dr. Ambedkar ke Jaankari ko YouTube par daal sakta hun
कमलेश जी, आप अंबेडकर जी की जानकारी को यूट्यूब पर डाल सकते हैं लेकिन उसके लिए आपको हमने क्रेडिट्स देने की आवश्यकता है।
Verrinice no dout
It’s very useful Thank you
Aapne Baba saheb ke bare me bahut hi achhe se likha hai Baba saheb jaisa insan puri duniya me nahi hai Love u BABA saheb 👑💙 tum ko bhi thanks u
धर्मेंद्र जी, आपका आभार। ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,अति उत्तम ।
Bahut badhiya tarike se likha hua hai. Thanks a lot
अंजनी जी, आपका धन्यवाद, ऐसी ही अन्य ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट पर बनें रहे।
सुनील जी आपका शुक्रिया, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर रहें।
Bahut bahut dhanyawad
आपका आभार, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
मैं अपने दिल से आभार प्रकट करता हूँ
आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।
बहुत ही अच्छा लेख
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Mujhe Babasaheb ke bare mein padh kar bht acha lga kuch knowledge mili
इस लेख को सराहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आप ऐसे ही आकर्षक ब्लॉग नीचे दिए गए लिंक्स के द्वारा पढ़ सकते हैं: https://leverageedu.com/blog/hi/
Mujhe padna acha lagta h or me sabhi books padna cahata hu baba sahab ke uper se likhi hui
आपका धन्यवाद, ऐसे ही हमारी https://leverageedu.com/ पर बने रहिये।
आपका बहुत बहुत आभार
भीम राव अंबेडकर
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डॉ. भीमराव आम्बेडकर जी की मशहूर किताबें – Ambedkar Books in Hindi
Ambedkar Books in Hindi
दलितों के मसीहा के रुप में अपनी पहचान बनाने वाले डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी एक महान समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, कानून मंत्री, दार्शनिक ही नहीं थे बल्कि उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रुप में जाना जाता है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों को उनका हक दिलवाने, समाज में फैली जातिवाद और छूआछूत को खत्म करने, महिलाओं को उनका अधिकार दिलवाने और लोगों को शिक्षा के महत्व को समझाने में लगा दिया।
यही नहीं भीमराव आम्बेडकर जी ने साहित्य के क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उन्होंने अपने महान विचारों और सोच से कई पुस्तकों की रचना की। अंबेडकर जी को हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, पाली, जर्मन, मराठी, फ्रेंच, पर्शियन और गुजराती सभी नौ भाषाओं का ज्ञान था।
आपको बता दें कि आधुनिक भारत के निर्माता अंबेडकर जी की निजी लाइब्रेरी में 50 हजार से भी ज्यादा किताबे थी। यह दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट लाइब्रेरी थी। भीमराव अंबेडकर जी ने करीब 21 साल तक सभी धर्मों के अध्ययन के लिए तुलनात्मक रुप से पढ़ाई की थी।
भीमराव अंबेडकर जी की किताबों को पाठको द्धारा खूब पसंद किया जाता है। वहीं आज हम आपको अपने इस लेख में भीमराव अंबेडकर जी द्दारा लिखित प्रसिद्ध किताबों के बारे में बताएंगे –
भारत में जातियां- उनका मशीनीकरण, उतत्पत्ति और विकास (Castes in India: Their Mechanism, Genesis and Development)
भीमराव अंबेडकर जी की यह किताब मई, साल 1917 में प्रकाशित की गई थी। उसी साल कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्धारा अंबेडकर जी को डॉक्टरेट की डिग्री दी गई थी। महाराष्ट्र सरकार (बॉम्बे) के शिक्षा विभाग ने अम्बेडकर के लेखन और भाषण खंड 1 के संग्रह में इस लेख को प्रकाशित किया था।
इसके बाद इसका कई अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद किया गया था।
भगवान बुद्ध और उनका धम्म (The Buddha and His Dhamma: A Critical Edition)
भीमराव अंबेडकर जी ने अपने जीवन के आखिरी दिनों में इस किताब को काफी मुश्किलों से पूरा किया, वहीं उनकी यह किताब साल 1957 में उनके मरणोपरांत प्रकाशित की गई थी। भीमराव अंबेडकर जी की यह किताब उनकी बौद्ध धर्म पर की गई समीक्षा और विश्लेषण के लिए काफीमशहूर है। आपको बता दें कि यह किताब बुद्ध का पहला आलोचनात्मक संस्करण है।
शुद्र कौन थे ? – Who were the Shudras?
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी द्धारा लिखित यह एक ऐतिहासक पुस्तक है जिसे साल 1946 में प्रकाशित किया गया था । इस किताब में भीमराव अंबेडकर जी ने शुद्र वर्ण की उत्पत्ति की चर्चा की है। अंबेडकर जी ने इस किताब को ज्योतिराव फुले को समर्पित किया है।
बुद्ध या कार्ल मार्क्स – Buddha or Karl Marx by Dr. Ambedkar
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की यह सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है। भारतीय संविधान के निर्माता भीमराव अंबेडकर जी ने अपनी इस किताब में मार्क्सवाद के मूल सिद्धांतों की व्याख्या की है।
उन्होंने ‘बुद्धा और कार्ल मार्क्स’ में इस सवाल का भी उल्लेख किया है कि यह कुछ साफ नहीं है कि मार्क्सवादियों के बीच तानाशाही कब तक चलेगी। इस किताब में अंबेडकर जी ने समाज में फैली छूआछूत और भेदभाव को मिटाने के लिए बुद्ध धर्म अपनाने पर जोर दिया और इसकी व्याख्या की है।
जातियों का विनाश / संहार – Annihilation of Caste
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की यह पुस्तक भारतीय राजनीति पर लिखी गई सबसे महत्वपूर्ण पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक को अंबेडकर जी ने साल 1936 में लिखा था। इस किताब में उन्होंने हिन्दू धर्म और इसकी जाति-व्यवस्था की कठोर निंदा की है।
Pakistan Or Partition Of India
भारत के महान समाज सुधारक, दार्शनिक और भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की यह पुस्तक उनकी पहली पुनर्मुद्रण संस्करण हैं। अंबेडकर जी बेहद ज्ञानी थे, उन्होंने अपने ज्ञान का इस्तेमाल दुनिया के सबसे बड़़े भारतीय संविधान के निर्माण में किया था।
उनकी यह किताब ”पाकिस्तान या भारत का विभाजन” को साल 1945 में मूल रुप से प्रकाशित किया गया था। यह किताब पाकिस्तान के खिलाफ हिन्दू मामला, पाकिस्तान के लिए मुस्लिम मामला समेत पाकिस्तान से संबंधित तमाम मुद्दों पर आधारित है।
इसके साथ ही ‘ पाकिस्तान ऑर पार्टिशन ऑफ इंडिया ‘ पुस्तक संस्थानों, विश्नविद्यालयों, लाइब्रेरी, राजनीति विज्ञान, मॉडर्न हिस्ट्री और सामाजिक कार्य के रिसचर्स के लिए जानकारी के लिए अनूठा स्त्रोत है।
रुपये की समस्या: इसका मूल और इसका समाधान – The Problem of the Rupee: its origin and its solution
भारत के अर्थशास्त्री के जनक भीमराव अंबेडकर द्धारा अर्थशास्त्र पर लिखित उनकी सर्वश्रेष्ठ किताबों में से एक है। जिसे पाठकों द्धारा खूब पसंद किया जाता है। उनकी यह किताब ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में चलाए जाने वाली मुद्रा पर कुछ प्रश्नचिन्ह खड़े करती है, इसके बाद ही भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का निर्माण किया गया था।
अंबेडकर जी की कुछ अन्य महत्वपूर्ण किताबें –
- भारत का राष्ट्रीय अंश
- वेटिंग फॉर ए वीजा (WAITING FOR A VISA: Autobiographical notes)
- हिन्दू धर्म के दर्शन (Philosophy of Hinduism)
- प्राचीन भारत में क्रांति – Revolution and Counter Revolution in Ancient India
- भारत में बौद्ध धर्म का पतन (The Decline And Fall Of Buddhism In India)
- संघ बनाम स्वतंत्रता
- जनता (साप्ताहिक)
- महाराष्ट्र भाषाई प्रांत (MAHARASHTRA AS A LINGUISTIC PROVINCE)
- जाति विच्छेद
- श्री गांधी एवं अछूतों की विमुक्ति
- भारत में लघु कृषि और उनके उपचार
- बहिष्कृत भरत
- द अनटचेबलस: ए थीसिस ऑन द ओरिजन ऑफ अनटचेबिलिटी
- रनाडे, गांधी और जिन्ना (RANADE GANDHI JINNAH)
- Writings And Speeches: A Ready Reference Manual
- द कॉन्सटीट्यूश ऑफ इंडियया (THE CONSTITUTION OF INDIA)
- एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस ऑफ द ईस्ट इंडिया कंपनी (ADMINISTRATION AND FINANCE OF THE EAST INDIA COMPANY)
- पाकिस्तान पर विचार (Thoughts on Pakistan)
- (स्वतंत्रता के शब्द: एक राष्ट्र के विचार – अंबेडकर) Words of Freedom: Ideas of a Nation: B.R.Ambedkar
- ब्रिटिश भारत में साम्राज्यवादी वित्त का विकेन्द्रीकरण
- ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का अभ्युदय
- Br Ambedkar Biography
- Dr. B R Ambedkar Quotes
- Dr. Bhimrao Ambedkar Essay
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डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखी गई पुस्तकों की सूची
बाबासाहेब भीम राव अंबेडकर द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध किताबें: (List of Famous Books Written by Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi) भारत को संविधान देने वाले महान नेता डा. भीम राव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू छावनी में में हुआ था। डा. भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का भीमाबाई था। अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान के रूप में जन्में डॉ. भीमराव अम्बेडकर जन्मजात प्रतिभा संपन्न थे। भीमराव अम्बेडकर को एक विश्वस्तरीय विधिवेत्ता, दलित राजनीतिक नेता और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार के तौर पर पहचाना जाता है। डा. भीमराव अंबेडकर के निजी पुस्तकालय “राजगृह” में 50,000 से भी पुस्तकें थी और यह दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी थी। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, फ्रेंच, पाली, जर्मन, मराठी, पर्शियन और गुजराती जैसी 9 भाषाओँ के ज्ञाता थे। वे कुल 64 विषयों के अध्यापक थे। इसके अलावा उन्होंने लगभग 21 साल तक विश्व के सभी धर्मों की तुलनात्मक रूप से पढाई की थी। डॉक्टर अम्बेडकर की किताबें वर्तमान में भारत में अबसे अधिक बिकने वाली किताबों में गिनी जातीं हैं। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री, भारतीय संविधान के प्रमुख वास्तुकार एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे। उन्हें मरणोपरांत साल 1990 में भारत सरकार द्वारा भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया था। डा. भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। आइये जाने डा. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखित मशहूर किताबों के बारे में:-
डा. भीम राव अंबेडकर द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध 18 पुस्तकों की सूची:
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