औद्योगिक क्रांति क्या है - कारण, परिणाम, विशेषताएं एवं लाभ

औद्योगिक क्रांति क्या है – कारण, परिणाम, विशेषताएं एवं लाभ

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Table of Contents

औद्योगिक क्रांति (Industrial Revolution) क्या है

औद्योगिक क्रांति वह समय है जब हाथों द्वारा बनाई गई वस्तुओं के स्थान पर आधुनिक मशीनों का प्रयोग कर वस्तुओं का निर्माण किया जाने लगा। आधुनिक मशीनों द्वारा निर्माण कार्य करने की प्रक्रिया को औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है। इस प्रक्रिया में छोटे-छोटे स्तर पर होने वाले निर्माण कार्यों को बड़े स्तर पर आधुनिक मशीनों द्वारा किया जाने लगा। औद्योगिक क्रांति के कारण पश्चिमी देशों की तकनीकी एवं सामाजिक स्थिति में बड़ा बदलाव आया। समय के साथ-साथ औद्योगिक क्रांति का प्रभाव पूरे विश्व में पड़ने लगा। औद्योगिक क्रांति के अंतर्गत मशीनीकरण का एक नए युग का आरंभ हुआ जिसके फलस्वरूप औद्योगिक क्रांति को एक नई गति प्राप्त हुई।

औद्योगिक क्रांति कब हुई थी

औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सर्वप्रथम इंग्लैंड में सन 1760 से लेकर सन 1870 के मध्य काल में हुई थी। धीरे-धीरे यह क्रांति यूरोप के अन्य देशों में फैल गयी जैसे जर्मनी, फ्रांस, रुस, जापान आदि। गौरतलब है कि यह औद्योगिक क्रांति आज भी कई देशों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा जारी है।

औद्योगिक क्रांति के कारण

  • औद्योगिक क्रांति का मुख्य कारण जनसंख्या में वृद्धि का होना है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण विश्व भर में वस्तुओं की मांग में वृद्धि होने लगी जिसके कारण विश्व भर में औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहन मिला। औद्योगिक क्रांति के कारण देश-विदेशों में नए-नए उद्योगों के कारखानों का विकास हुआ जिससे समय पर वस्तुओं की मांग की पूर्ति की जा सकी।
  • औद्योगिक क्रांति में हाथों की बजाय मशीनों से नए उत्पाद बनाये जाने लगे जिस से कम समय में काफी अधिक मात्रा में उत्पाद तैयार होने लगे जिस कारण औद्योगिक क्रांति को सराहा जाने लगा।
  • औद्योगिक क्रांति के कारण यातायात के साधनों को विकसित किया जा सका जिसकी मदद से एक देश आसानी से दूसरे देश में अपनी उत्पादित वस्तुओं को निर्यात और आयात कर सका। इससे यातायात की सुविधाएं सुगम हो गयी जो व्यापारिक दृष्टि से बेहद उपयोगी था।
  • औद्योगिक क्रांति के द्वारा विकसित हुए मशीनों के कारण लोहा बनाने की प्रक्रिया में काफी सुविधा प्राप्त हुई जिसके फल स्वरुप कई देशों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। आधुनिक मशीनों की मदद से लोहे को बेहद कम समय में मजबूत बनाया जा सकता था।
  • औद्योगिक क्रांति के कारण पूरे विश्व में वणिकवाद (Mercantilism) या वाणिज्यवाद को बढ़ावा मिला, जिसे व्यापारवाद भी कहा जाता है। वणिकवाद के अंतर्गत केवल मुनाफा पाने के लिए व्यापार किया जाता है। यह 16 वीं से 17 वीं शताब्दी के मध्य आरंभ हुआ जिसके फलस्वरूप औद्योगिक क्रांति में और तेजी आयी।
  • इंग्लैंड के पास कोयले एवं लोहे की कई खदानें पाई गईं, जिसके कारण इंग्लैंड को औद्योगिक क्रांति का सबसे अधिक फायदा मिला। इसी कारण इंग्लैंड को लोहा बनाने में बेहद सुविधा होती थी जिसके कारण वहां जल्द ही कई कारखानों की शुरुआत हुई।

औद्योगिक क्रांति के परिणाम

औद्योगिक क्रांति के परिणाम स्वरूप मानव समाज पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ा। मानव इतिहास में इस क्रांति के कारण उत्पादन पद्धति बेहद प्रभावित हुई। इसके कारण विश्व भर में उद्योग के क्षेत्र में कई परिवर्तन आए जिससे अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिला। औद्योगिक क्रांति के कारण व्यापार की नीतियों का उदय हुआ जिससे कई देशों की शक्तियों में बड़ा बदलाव आया। इसके कारण पूरे यूरोप व एशियाई देशों में कई राजनीतिक एवं आर्थिक परिवर्तन आए जिससे संपूर्ण मानव जाति की गतिविधियां प्रभावित हुई।

औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम

  • औद्योगिक क्रांति के कारण नए सामाजिक वर्गों का उदय हुआ जिसमें पूंजीवादी वर्ग, व्यापारी वर्ग एवं पूंजीपति वर्ग सम्मिलित थे। इसने समाज में असंतुलन की स्थिति को बढ़ावा दिया जिसके कारण विश्व भर के विभिन्न देशों में आर्थिक क्षेत्र बेहद प्रभावित हुआ।
  • औद्योगिक क्रांति के अंतर्गत कृषि क्षेत्र तकनीकी रूप से विकसित हुआ जिसके कारण जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई। इसके द्वारा कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को लाया जा सका जिसके फलस्वरूप खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाया जा सका। यही नहीं औद्योगिक क्रांति के द्वारा औषधि विज्ञान में भी तरक्की हुई जिसके फलस्वरूप विश्व भर में मृत्यु दर में कमी आई।
  • औद्योगिक क्रांति के कारण आधुनिक समाज में नैतिक मूल्यों की गिरावट देखी गई। इसमें मदिरा पान एवं जुऐ जैसे खेल का प्रचार बड़ा जिसके कारण श्रमिकों एवं नागरिकों में नशे के चलन की नई शुरुआत हुई।
  • औद्योगिक क्रांति के युग में कई सांस्कृतिक परिवर्तन आए जिसके कारण पुराने रीति-रिवाजों, कला-साहित्य, वेशभूषा, धार्मिक मान्यताओं आदि के क्षेत्र में कई सकारात्मक परिवर्तन हुए। इतना ही नहीं इसके कारण शिक्षा पद्धति एवं रोजगार के क्षेत्र में भी विकास हुआ।

औद्योगिक क्रांति के राजनीतिक परिणाम

  • औद्योगिक क्रांति के कारण श्रमिकों एवं कृषिकों की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होती गई। आधुनिक युग में पूंजीपति अधिक मुनाफा पाने के लिए श्रमिक वर्ग के लोगों का शोषण करने लगे जिसके फल स्वरुप समाज में श्रमिकों की दशा खराब होती गई।
  • औद्योगिक क्रांति से विश्व भर में नए व आधुनिक कारखानों का उदय हुआ जिसके कारण बड़े पैमाने पर छोटे उद्योग कारखानों का नाश हो गया। इसके कारण लाखों कारीगरों की आय पर बुरा प्रभाव पड़ा।
  • औद्योगिक क्रांति के कारण मानव समाज में नई राजनीतिक विचारधारा का जन्म हुआ जिसकी नीतियों ने व्यक्तिगत अधिकार पर रोक लगाई। औद्योगिक क्रांति ने मानव समाज को बेहद प्रभावित किया जिसके फलस्वरूप समाज के कई क्षेत्रों में गहरे रुप से परिवर्तन हुआ।

औद्योगिक क्रांति के आर्थिक परिणाम

  • औद्योगिक क्रांति के कारण विश्व के कई देशों में राष्ट्रीय आर्थिक असंतुलन की स्थिति को जन्म दिया। इससे विकसित एवं पिछड़े देशों के बीच आर्थिक असमानता बढ़ती गई जिसके कारण एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र का शोषण करने लगे। औद्योगिक क्रांति के द्वारा आर्थिक साम्राज्यवाद के युग का भी आरंभ हुआ।
  • औद्योगिक क्रांति से शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो गई। लगातार बदलते आर्थिक स्थिति के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोग शहर की ओर पलायन करने लगे जिसके कारण शहर की अर्थव्यवस्था गांव की अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक विकसित होने लगी।
  • औद्योगिक क्रांति की मदद से कारखानों में उद्योग का उत्पादन भारी मात्रा में बढ़ने लगा जिससे व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि हुई। इसके कारण कई देशों की अर्थव्यवस्था बेहतर होने लगी। कई देशों ने औद्योगिक एवं व्यापारिक नियमों को लागू कर अपनी-अपनी अर्थव्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में कार्य किया।

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख आविष्कार

औद्योगिक क्रांति के समय विश्व भर में कई आविष्कार हुए जिनके कारण जीवन शैली में कई सकारात्मक एवं नकारात्मक बदलाव आए। औद्योगिक क्रांति के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण आविष्कार हुए जैसे रेल इंजन, भाप शक्ति, सिलाई मशीन, पावर लूम, म्यूल, वाटर फ्रेम, फ्लाइंग शटल, स्पिनिंग जेनी आदि। यह सभी आविष्कार औद्योगिक क्रांति के प्रमुख आविष्कारों के रूप में जाने जाते हैं। इन सभी आविष्कारों के द्वारा जीवन स्तर, रहन-सहन एवं खानपान में परिवर्तन आए जिन्हें आधुनिक युग की दृष्टि से बेहतर माना जाता है।

औद्योगिक क्रांति की विशेषताएं लिखिए

औद्योगिक क्रांति के कारण विश्व भर के कई देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में विकास किए जिसने एक नए आधुनिक युग को जन्म दिया –

  • औद्योगीकरण के द्वारा वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में उन्नति हुई जिसके कारण विश्व में ऊनी एवं रेशमी वस्त्रों की मांग बढ़ने लगी। वस्त्र उद्योग कारखानों में स्वचालित यंत्रों के प्रयोग को इस्तेमाल में लाए जाने से सूत कातने व बुनने की प्रक्रिया को तेज किया जा सका जिससे विश्व में वस्त्रों की मांग को समय पर पूरा करने में मदद मिली।
  • औद्योगिक युग में लोहा एवं कोयले के निर्माण में नई क्रांति आई। इस युग में मशीनों की सहायता से लोहे एवं कोयले के निर्माण कार्यों में आश्चर्यजनक रूप से सुधार किए गए जिससे विश्व भर में लोहे से बने उत्पादों की मांग को पूरा करना संभव हो पाया।
  • औद्योगिक क्रांति के कारण विश्व भर में इंजीनियरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई जिसके कारण यंत्रीकरण को बढ़ाने में सहायता मिली। इससे विश्व भर में इंजीनियरिंग वर्ग के लोगों का भी विकास हुआ जिससे कारखानों में नई-नई मशीनों को बनाने एवं स्थापित करने में बहुत मदद मिली।
  • औद्योगिक क्रांति के द्वारा यातायात के साधनों का तेजी से विकास हुआ। दरअसल औद्योगिक क्रांति के युग में नए-नए साधनों को उपयोग में लाया जाने लगा जिसके फलस्वरूप यातायात में यंत्रीकरण का उपयोग अधिक होने लगा।
  • औद्योगिक क्रांति के युग में रासायनिक उद्योगों का तेजी से विकास हुआ जिसके फल स्वरुप दुनिया भर में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उद्योगों का उदय संभव हो पाया। दरअसल, वस्त्र उत्पादन में रंगाई एवं छपाई हेतु कुछ रसायनों की आवश्यकता होती थी जिसके लिए रसायन उद्योगों में क्रांतिकारी परिवर्तन बेहद जरूरी थे।

औद्योगिक क्रांति के लाभ

  • औद्योगिक क्रांति का सबसे बड़ा लाभ यह था कि इसके द्वारा उद्योगों के उत्पादन क्षमता में तेजी से वृद्धि हुई। विश्व भर में विभिन्न प्रकार से नवीन तकनीकों द्वारा उद्योगों के विकास में निरंतर वृद्धि होती रही जिसके फल स्वरूप वस्तुओं की मांग को पूरा किया जा सका।
  • औद्योगिक क्रांति के कारण यातायात के साधनों को विकसित किया जा सका जिससे लोगों के लिए यातायात सुगम एवं सुविधाजनक हो गया। केवल इतना ही नहीं औद्योगिक क्रांति के द्वारा देश-विदेश में सुविधापूर्ण तरीके से यात्रा करना भी संभव हो गया।
  • औद्योगिक क्रांति से कृषि क्षेत्र में नई तकनीकों को शामिल किया जा सका जिससे कृषकों के श्रम को कम करने में आसानी हुई। इसके अलावा औद्योगिक क्रांति के कारण कृषि उत्पादन में भी वृद्धि हुई जिसके कारण राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मुनाफे को बढ़ाया जा सका।
  • औद्योगिक क्रांति के कारण विज्ञान के क्षेत्र में तेजी से तरक्की हुई जिससे विश्व भर के विभिन्न प्रकार के नए-नए प्रौद्योगिकी की खोज संभव हो पायी।

औद्योगिक क्रांति की अवधारणा क्या है

औद्योगिक क्रांति की अवधारणा परिवर्तन के नियमों पर आधारित है। आधुनिक इतिहास में औद्योगिक क्रांति को विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों में बदलाव की भावना से शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य प्राचीन एवं परंपरागत तरीके से निर्माण होने वाले वस्तुओं के स्थान पर आधुनिक एवं मशीनीकरण द्वारा वस्तुओं के निर्माण का अधिक प्रयोग किया जाना है।

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औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, प्रभाव, परिणाम एवं महत्‍वपूर्ण तथ्‍य

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण, भारत और विश्व पर प्रभाव और परिणाम:.

औद्योगिक क्रांति किसे कहते है?

ब्रिटेन और बाद में यूरोप में वर्ष 1780 से 1820 के बीच हुए प्रचंड औद्योगिक प्रगति के फलस्वरूप सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक तथा वैचारिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। इसका प्रभाव इंग्लैण्ड तक ही सिमित नहीं रहकर यूरोप के अन्य देशों पर भी पड़ा। इस तरह विश्व में एक नए युग का प्राम्भ हुआ और वर्ष 1882 ई. में अर्नाल्ड टायनबी ने इसे 'औद्योगिक क्रान्ति' की संज्ञा दी। इस युग में जल तथा वाष्प के इंजन की शक्ति से चलित यंत्रों का आविष्कार हुआ जिसके कारण कारखानों की स्थापना होने लगी। कारखानों का निर्माण होने के कारण वस्तु -निर्माण का घरेलू तरीका शिथिल और कमजोर हो गया। इन कारखानों में मजदूरों को मजदूरी पर रखा जाता था।

कारखानों की स्थापना और मजदूरों की बहुलता के कारण नए नए नगर बसने लगे। गाँव और शहरों से लोग पैसे कमाने के लिए शहरों के कारखानों में मजदूरी करने आने लगे। अधिक संख्या में कारखाने और मजदूरों की अधिक संख्यां के कारण खपत योग्य वस्तुओं का बड़े पैमाने पर उत्पादन होने लगा। अधिकाधिक वस्तुओं के उत्पादन के कारण उत्पादित वस्तुओं को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाने के लिए यातायात के नए और तेज गति वाले साधनों का विकास हुआ। इस औद्योगिक क्रान्ति का प्रभाव व्यापक था और सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक सभी क्षेत्रों में औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप दूरगामी परिवर्तन हुए। 19वी शताब्दी में यह पूरे पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैल गयी।

औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारण:

  • कृषि क्रांति
  • जनसंख्या विस्फोट
  • व्यापार प्रतिबंधों की समाप्ति
  • उपनिवेशों का कच्चा माल तथा बाजार
  • पूंजी तथा नयी प्रौद्योगिकी
  • पुनर्जागरण काल और प्रबोधन
  • कारखाना प्रणाली

औद्योगिक क्रांति के दौरान हुए प्रमुख आविष्कार एवं महत्‍वपूर्ण तथ्‍य:-

  • औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्‍लैंड में हुई।
  • इंग्‍लैंड में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत सूती कपड़ा उद्योग से हुआ।
  • मैनचेस्‍टर से वर्सले तक ब्रिंटले नामक इंजीनियर ने (1761 ई. में) नहर बनाई।
  • रेल के जरिए खानों से बंदरगाहों तक कोयला ले जाने के लिए भाप इंजन का इस्‍तेमाल जार्ज स्‍टीफेंसन ने किया।
  • औद्योगिक क्रांति की दौर में इंग्‍लैंड का प्रतिद्वंदी जर्मनी था।
  • लौह अयस्क से इस्पात बनाने की प्रक्रिया का दूसरा चरण इस्पात निर्माण है, इस्पात निर्माण का उदय का औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है।
  • विद्युत आवेशों के मौजूदगी और बहाव से जुड़े भौतिक परिघटनाओं के समुच्चय को विद्युत कहा जाता है। विद्युत निर्माण का उदय का भी औद्योगिक क्रांति के दौरान हुआ है। विद्युत से अनेक जानी-मानी घटनाएं जुड़ी है जैसे कि तडित, स्थैतिक विद्युत, विद्युतचुम्बकीय प्रेरण, तथा विद्युत धारा।
  • तेज चलने वाले शटर का आविष्‍कार जॉन (1733 ई. में) किया।
  • स्पिनिंग म्‍यूल का आविष्‍कार क्राम्‍पटन (1776 ई.) ने किया।
  • घोड़ा द्वारा चलाए जाने वाला करघा का आविष्‍कार कार्ट राइट ने किया।
  • सेफ्टी लैंप का आविष्‍कार हम्‍फ्री डेवी ने (1815 ई.) में किया।

औद्योगिक क्रांति के प्रभाव: औद्योगिक क्रांति का मानव समाज पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा। मानव समाज के इतिहास में दो प्रसिद्ध क्रांतियां हुई जिन्होंने मानव इतिहास को सर्वाधिक प्रभावित किया। एक क्रांति उस समय हुई जब उत्तर पाषाण युग में मानव ने शिकार छोड़कर पशुपालन एवं कृषि का पेशा अपनाया तो दूसरी क्रांति वह है जब आधुनिक युग में कृषि छोड़कर व्यवसाय को प्रधानता दी गई। इस औद्योगिक क्रांति से उत्पादन पद्धति गहरे रूप से प्रभावित हुई।

श्रम के क्षेत्र में मानव का स्थान मशीन ने ले लिया। उत्पादन में मात्रात्मक व गुणात्मक परिवर्तन आया। धन सम्पदा में भारी वृद्धि हुई। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भी बढ़ा। औपनिवेशिक साम्राज्यवाद का विस्तार भी औद्योगिक क्रांति का परिणाम था एवं नए वर्गों का उदय हुआ।

आर्थिक परिणाम:

  • उत्पादन में असाधारण वृद्धि: कारखानों में वस्तुओं का उत्पादन शीघ्र एवं अधिक कुशलता से भारी मात्रा में होने लगा। इन औद्योगिक उत्पादों को आंतरिक और विदेशी बाजारों में पहुंचाने के लिए व्यापारिक गतिविधियां तेज हुई जिससे औद्योगिक देश धनी बनने लगे। इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था उद्योग प्रधान हो गई। वहां औद्योगिक पूंजीवाद का जन्म हुआ। औद्योगिक एवं व्यापारिक निगमों का विस्तार हुआ। इन निमगों ने अपना विस्तार करने के लिए अपनी पूंजी की प्रतिभूतियां (Securities) बेचना आरंभ किया। इस तरह उत्पादन की असाधारण वृद्धि ने एक नई आर्थिक पद्धति को जन्म दिया।
  • शहरीकरण: बदलते आर्थिक परिदृश्य के कारण गांवों के कुटीर उद्योगों का पतन हुआ। फलतः रोजगार का तलाश में लोग शहरों की ओर भागने लगे क्योंकि अब बड़े-बड़े उद्योग जहां स्थापित हुए थे, वहीं रोजगार की संभावनाएं थी। स्वाभाविक तौर पर शहरीकरण की प्रक्रिया तीव्र हो गई। नए शहर अधिकतर उन औद्योगिक केन्द्रों के आप-पास विकसित हुए जो लोहे कोयले और पानी की व्यापक उपलब्धता वाले स्थानों के निकट थे। नगरों का उदय व्यापारिक केन्द्र के रूप में, उत्पादन केन्द्र, बंदरगाह नगरों के रूप में हुआ। शहरीकरण की प्रक्रिया केवल इंग्लैंड तक सीमित नहीं रही बल्कि फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रिया, इटली आदि में भी विस्तारित हुई। इस तरह शहर अर्थव्यवस्था के आधार बनने लगे।
  • आर्थिक असंतुलन: औद्योगिक क्रांति से आर्थिक असंतुलन राष्ट्रीय समस्या के रूप में सामने आया। विकसित और पिछड़े देशों के मध्य आर्थिक असमानता की खाई गहरी होती चली गई। औद्योगीकृत राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों का खुलकर शोषण करने लगे। आर्थिक साम्राज्यवाद का युग आरंभ हुआ। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर औपनिवेशिक साम्राज्यवादी व्यवस्था मजबूत हुई। औद्योगिक क्रांति के बाद राष्ट्रों की आपसी निर्भरता बहुत अधिक बढ़ गई जिससे एक देश में घटने वाली घटना दूसरे देश को सीधे प्रभावित करने लगी। फलतः अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक तेजी एवं मंदी का युग आरंभ हुआ।
  • बैकिंग एवं मुद्रा प्रणाली का विकास: औद्योगिक क्रांति ने संपूर्ण आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया। उद्योग एवं व्यापार में बैंक एवं मुद्रा की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई। बैंकों के माध्यम से लेन-देन सुगम हुआ, चेक और ड्राफ्ट का प्रयोग बढ़ गया। मुद्रा के क्षेत्र में भी विकास हुआ। धातु के स्थान पर कागजी मुद्रा का प्रचलन हुआ।
  • कुटीर उद्योगों का विनाश: औद्योगिक क्रांति का नकारात्मक परिणाम था कुटीर उद्योगों का विनाश। किन्तु यहाँ समझने की बात यह है कि यह नकरात्मक परिणाम औद्योगिक देशों पर नहीं बल्कि औपनिवेशिक देशों पर पड़ा। दरअसल औद्योगिक देशों में कुटरी उद्योगों के विनाश से बेरोजगार हुए लोगों को नवीन उद्योगों के रूप में एक विकल्प प्राप्त हो गया। जबकि उपनिवेशों में इस वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाई। भारत के संदर्भ में इसे समझा जा सकता है।
  • मुक्त व्यापार: औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप संरक्षणवाद के स्थान पर मुक्त व्यापार की नीति अपनाई गई। 1813 के चार्टर ऐक्ट के तहत इंग्लैंड ने EIC के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर मुक्त व्यापार की नीति को बढ़ावा दिया।

सामाजिक परिणाम:

  • जनसंख्या में वृद्धि: औद्योगिक क्रांति ने जनसंख्या वृद्धि को संभव बनाया। वस्तुतः कृषि क्षेत्र में तकनीकी प्रयोग ने खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाकर भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न उत्पादन बढ़कार भोजन आवश्यकता की पूर्ति की। दूसरी तरफ यातायात के उन्नत साधनों के माध्यम से मांग के क्षेत्रों में खाद्यान्न की पूर्ति करना संभव हुआ। बेहतर पोषण एवं विकसित स्वास्थ्य एवं औषधि विज्ञान के कारण नवजात शिशु एवं जीवन की औसत आयु में वृद्धि हुई। फलतः मृत्यु दर में कमी आई।
  • नए सामाजिक वर्गों का उदय: औद्योकिग क्रांति ने मुख्य रूप से तीन नए वर्गों का जन्म दिया। प्रथम पूंजीवादी वर्ग, जिसमें व्यापारी और पूंजीपति सम्मिलित थे। द्वितीय मध्यम वर्ग, कारखानों के निरीक्षक, दलाल, ठेकेदार, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि शामिल थे। तीसरा श्रमिक वर्ग जो अपने श्रम और कौशल से उत्पादन करते थे।
  • मानवीय संबंधों में गिरावट: परम्परागत, भावानात्मक मानवीय संबंधों का स्थान आर्थिक संबंधों ने ले लिया। जिन श्रमिकों के बल पर उद्योगपति समृद्ध हो रहे थे उनसे मालिन न तो परिचित था और न ही परिचित होना चाहता था। उद्योगों में प्रयुक्त होने वाली मशीन और तकनीकी ने मानव को भी मशीन का एक हिस्सा बना दिया।
  • नैतिक मूल्यों में गिरावट: नए औद्योगिक समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आई। भौतिक प्रगति से शराब और जुए का प्रचार बढ़ा। अधिक समय तक काम करने के बाद थकावट मिटाने के लिए श्रमिकों में नशे का चलन बढ़ा। इतना ही नहीं औद्योगिक केन्द्रों पर वेश्यावृति फैलने लगी। उपभोक्तावादी प्रवृत्ति बढ़ने से भ्रष्टाचार एवं अपराधों को बढ़ावा मिला।
  • शहरी जीवन में गिरावट: शहरों में जनसंख्या के अत्यधिक वृद्धि के कारण निचले तबके को आवास, भोजन, पेयजल आदि का अभाव भुगतान पड़ता था। अत्यधिक जनसंख्या के कारण औद्योगिक केन्द्रों के आस-पास कच्ची बस्तियों का विस्तार होने लगा जहां गंदगी रहती थी।
  • सांस्कृतिक परिवर्तन: औद्योगिक क्रांति से पुराने रहन-सहन के तरीकों, वेश-भूषा, रीति-रिवाज, कला-साहित्य, मनोरंजन के साधनों में परिवर्तन हुआ। परम्परागत शिक्षा पद्धति के स्थान पर रोजगारपरक तकनीकी एवं प्रबन्धकीय शिक्षा का विकास हुआ।
  • बाल-श्रम: औद्योगिक क्रांति ने बाल-श्रम को बढ़ावा दिया और बच्चों से उनका “बचपन” छीन लिया। इस समस्या से आज सारा विश्व जूझ रहा है।
  • महिला आंदोलनों का जन्म: औद्योगिक क्रांति ने कामगारों की आवश्यकता को जन्म दिया जो केवल पुरूषों से पूरा नहीं हो पा रहा था। अतः स्त्री की भागीदारी कामगार वर्ग में हुई। अब स्त्रियों की ओर से भी अधिकारों की मांगे उठने लगी, उनमें चेतना जागृत हुई।

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औद्योगिक क्रांति प्रश्नोत्तर (FAQs):

एशिया में सर्वाधिक औद्योगिकीकृत देश कौन-सा है?

चीन एशिया में सर्वाधिक औद्योगिकीकृत देश माना जाता है। चीन ने अपनी आर्थिक विकास के दौरान महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्रों में प्रगति की है और विभिन्न उद्योगों जैसे कि मशीनरी, टेलीकम्यूनिकेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सामग्री, स्थानिक उत्पादन, वाणिज्यिक वाहनों इत्यादि में अग्रणी भूमिका निभाई है।

किस औद्योगिक नीति के अन्तर्गत, जिला उद्योग केन्द्रों का गठन किया गया था?

जिला उद्योग केंद्र कार्यक्रम 1978 एक सरकारी पहल के रूप में, देश के ग्रामीण क्षेत्रों और गांवों में सभी छोटे पैमाने के व्यवसायों को प्रभावी ढंग से विकसित करने के लिए, गांव और छोटे आकार के संस्थानों को एक छत के नीचे सभी सहायता और कार्यक्रम लाने के लिए।

किस देश में औद्योगिक क्रांति पहले शुरू हुई थी?

औद्योगिक क्रांति की पहली शुरुआत ब्रिटेन (यूनाइटेड किंगडम) में हुई थी। इसे "आधुनिक औद्योगिक क्रांति" भी कहा जाता है। यह क्रांति 18वीं और 19वीं शताब्दी के बीच शुरू हुई और इसके परिणामस्वरूप ब्रिटेन ने औद्योगिकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की। इस क्रांति के दौरान उद्योगों में तकनीकी, मशीनरी, औद्योगिक प्रक्रियाओं, और श्रम संगठन की प्रगति हुई।

इग्लैंड में औद्योगिक क्रांति ने संक्रमण के चरमोत्कर्ष को निरूपित किया-

औद्योगिक क्रांति के साथ जहां श्रमिकों एवं कामगारों की स्थिति सोचनीय हो गई, वहीं पूंजीपतियों की स्थिति में उत्तरोत्तर वृद्धि होती गई। पूंजीपतियों ने अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए श्रमिकों का शोषण करना शुरू कर दिया।

भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक संहत किस क्षेत्र के इर्द-गिर्द स्थित है?

भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक समूह मुंबई, ठाणे में स्थित है। मुंबई-पुणे औद्योगिक क्षेत्र का विकास मुंबई में सूती कपड़ा उद्योग से शुरू हुआ। नम जलवायु सूती कपड़ा उद्योगों के लिए अनुकूल थी। 1869 में स्वेज़ नहर के खुलने से मुंबई के बंदरगाह को बड़ा बढ़ावा मिला।

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