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परिवार पर निबंध

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रुपरेखा : प्रस्तावना - परिवार का सही अर्थ - परिवार के प्रकार - परिवार की आवश्यकता - परिवार का लाभ - परिवार में समस्या - उपसंहार।

परिवार का अनुशासन, पारिवारिक स्नेह और मर्यादा, परिवार को एक खुशहाल परिवार बना देता है। एक-दुसरे के प्रति सहानुभूति की भावना ही परिवार को समाज के साथ चलना सिखाता है। जिस परिवार में एकता की भावना होती है सिर्फ उसी घर में ही सुख-शांति का निवास होता है। परिवार का होना मानव के लिए बहुत महत्वपूर्ण उदेश है। परिवार के प्रति अपने मन में सम्मान रखना तथा अपने परिवारों के संग हर खड़ी परछाई की तरह चलना यही एक महान व्यक्ति का कर्तव्य है।

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घर-परिवार का महत्त्व पर निबंध / essay on importance of family in hindi

आपको अक्सर स्कूलों में निबंध लिखने को दिया जाता है। ऐसे में हम आपके लिए कई मुख्य विषयों पर निबंध लेकर आये हैं। हम अपनी वेबसाइट istudymaster.com के माध्यम से आपकी निबंध लेखन में सहायता करेंगे । दोस्तों निबंध लेखन की श्रृंखला में हमारे आज के निबन्ध का टॉपिक घर-परिवार का महत्त्व पर निबंध / essay on importance of family in hindi है। आपको पसंद आये तो हमे कॉमेंट जरूर करें।

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रूपरेखा—(1) प्रस्तावना, (2) घर की आवश्यकता, (3) परिवार का महत्त्व, (4) उपसंहार।

प्रस्तावना-

आज के सभ्य समाज में घर ,उस विशेष स्थान को कहते हैं जहाँ कोई मनुष्य रहता है। परिवार उसके साथ रहने वाले अन्य लोगों-माता-पिता,भाई-बहिन, बेटा-बेटी, पत्नी आदि को कहा जाता है। वास्तव में इन सभी के सहयोग से ही घर बनता है। इसी कारण घर का अर्थ सब प्रकार से सजे-धजे कमरों वाला मकान नहीं है, मात्र भोजन करने की जगह नहीं है। यह सब तो व्यक्ति को किसी सराय या होटल में भी मिल सकता है। परन्तु इन जगहों को घर नहीं कहा जा सकता, वह इसलिए कि उन जगहों पर वह अपनापन, वह प्यार नहीं मिल पाता जो केवल घर में ही मिल पाता है। बाहर यार-दोस्त, नाते-रिश्तेदार बन या मिल सकते हैं, पर परिवार नहीं मिल सकता, वह केवल अपने घर में ही मिल सकता है। इसी कारण घर, घर ही होता है, इसीलिए सभी एक घर की कामना किया करते हैं। 

घर की आवश्यकता – 

घर वह स्थान है, जिसके प्रति व्यक्ति के मन में एक भावात्मक लगाव होता है। उसकी प्रत्येक ईंट से उसका अपनत्व जुड़ा रहता है। परिवार उन लोगों को कहा जाता है जो कि भावात्मक स्तर पर जो व्यक्ति के प्रतिरूप या अपने एक ही शरीर के अलग-अलग अवयव हुआ करते हैं। उनके लिए वह हर प्रकार से समर्पित रहता है। आवश्यकता पड़ने पर वह अपना तन-मन आदि सर्वस्व न्यौछावर कर सकता है। परिवार के बिना व्यक्ति अपने अस्तित्व की कल्पना तक नहीं कर सकता। यदि कोई कर सकता है तो उसे सामान्य व्यक्ति नहीं समझा जाता।

परिवार का महत्त्व – 

परिवार समाजीकरण की इकाई है। परिवार समस्त आर्थिक क्रियाओं का नियन्त्रण कक्ष है। परिवार का शैक्षिक महत्त्व अनिवर्चनीय है। पारिवारिक शिक्षा का प्रभाव बालक के विकास में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। परिवार को बालक की प्रथम पाठशाला की संज्ञा देना उपयुक्त है क्योंकि परिवार बालक की शिक्षा-दीक्षा, धर्म, सुरक्षा, मनोरंजन आदि के लिए उपयुक्त अवसर प्रदान करता है।

उपसंहार –

व्यक्ति अपने छोटे से घर-परिवार से भावात्मक सम्बन्ध रख सकता है। उसके लिए समर्पित हो सकता है। घर-परिवार से ही व्यक्ति को मात्र अपने लिए कुछ करने, मात्र अपने लिए ही जीवित न रहने की प्रेरणा मिल पाती है, लेकिन खेद के साथ स्वीकार करना पड़ता है कि आज देश और समाज के प्रति भी व्यक्ति में कर्त्तव्य पालन का अभाव हो गया है, रह गया है केवल मात्र व्यक्तिगत स्वार्थ-साधना का भाव, जिसे घर-परिवार, देश और समाज किसी के लिए भी शुभ नहीं कहा जा सकता।

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Home » Essay Hindi » मेरा परिवार विषय पर निबंध | Essay On Family In Hindi

मेरा परिवार विषय पर निबंध | Essay On Family In Hindi

इस पोस्ट Importance Of My Family Essay In Hindi में मेरा परिवार पर निबंध और परिवार का महत्व (Importance Of Family) बताया गया है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी परिवार इंसान का हमेशा साथ देता है। परिवार का महत्व इंसान के पूरे जीवन में रहता है। इंसान के पैदा होने से लेकर मरने तक परिवार ही उसका साया होता है। वक्त एक जैसा नही रहता, परन्तु परिवार हमेशा वही रहता है। जीवन में दोस्त कई बनते और बिगड़ते है लेकिन पारिवारिक रिश्ते कभी नही बदलते है।

परिवार पर निबंध (Essay On Family In Hindi) में फैमिली का महत्व और सामान्य जानकारी पर संक्षिप्त परिचय है। दादा, दादी, पिता, माता, भाई, बहिन, पत्नी, बच्चें इत्यादि कई रिश्ते होते है जो किसी भी इंसान के परिवार में होते है। तो आइए मेरे प्यारे दोस्तों, परिवार पर निबंध लेखन का प्रयास करते है। इस निबंध के जरिये मेरा परिवार पर निबंध ( Best Essay On My Family In Hindi ) कैसा होना चाहिए, इसकी जानकारी है।

मेरा परिवार पर निबंध – Essay On Family In Hindi

आदर्श परिवार (Family) की परिभाषा क्या होती है? आपके मन में यह प्रश्न कभी ना कभी तो आया ही होगा। जिस परिवार में रिश्तों की कद्र होती है। आपस में सम्मान और भरोसा होता है, वही आदर्श परिवार कहलाता है। परिवार के सदस्य मित्र की तरह होते है जो सुख और दुख में हमेशा साथ रहते है। घर के बड़े बुजुर्ग, नौजवान और बच्चें मिलकर परिवार बनाते है।

दोस्तों परिवार रिश्तों से बनता है और रिश्तें विश्वास से बनते है। पारिवारिक रिश्तें दो प्रकार से बनते है। जन्म से खून का रिश्ता होता है जबकि कुछ रिश्तें विवाह के बाद बनते है। रिश्तों को निभाना ही परिवार का मूल आधार है। जिस परिवार में रिश्तों की कद्र नही होती वहां पर आपसी मनमुटाव रहता है। जहां परिवार रहता है, उसे घर कहा जाता है क्योंकि परिवार ही घर बनाता है।

ज्यादातर पारिवारिक रिश्तें जन्म से होते है। कुछ रिश्तें विवाह पश्चात बनते है। पति – पत्नी का रिश्ता जन्म से ना होकर विवाह से होता है। परिवार से ही समाज में आपकी पहचान होती है। जब बच्चा जन्म लेता है तब माता – पिता उसका परिवार होते है। बहुत ही जल्द दादा – दादी, चाचा – चाची, भाई – बहिन से उसकी पहचान होती है। ये सभी रिश्तें मिलकर बच्चे का परिवार पूरा करते है।

बच्चा बड़ा होने पर शादी करता है तब उसकी पत्नी उसके परिवार का हिस्सा बनती है। कुछ समय बाद वह संयुक्त परिवार से अलग होकर स्वयं का एकल परिवार बना लेता है। इसलिए समय के साथ परिवार का विस्तार होता रहता है।

पारिवारिक रिश्तों का परिचय (My Family Essay In Hindi)

परिवार (Family) नियमों और परंपराओं में बंधा होता है। समाज परिवार के समूहों से ही बनता है। परिवार में आपसी निष्ठा भी महत्वपूर्ण होती है। पुत्र की माता – पिता के प्रति, भाई की बहिन के प्रति, पति की पत्नी के प्रति निष्ठा होती है। निष्ठा से ही कर्तव्य आता है। परिवार के सदस्यों का एक दूसरे के प्रति कर्तव्य महत्व रखता है। परिवार के सदस्य आपस में दुख दर्द को बांट लिया करते है। इससे मुश्किल और दुख की घड़ी में इंसान को सहारा मिलता है।

भारत में परिवार दो प्रकार का होता है। जी हां परिवार के भी प्रकार होते है। एक प्रकार एकल परिवार और दूसरा संयुक्त परिवार होता है। भारत में संयुक्त परिवार का चलन है। एकल परिवार में माता – पिता के साथ केवल उनके बच्चें रहते है। इस प्रकार के परिवार में घर के बुजुर्ग साथ नही रहते है। ऐसे परिवारों में बुजुर्गों का आशीर्वाद नही रहता है।

विवाह के बाद पति – पत्नी अलग रहने लग जाते है। उनका खुद का एक परिवार हो जाता है। खासकर शहरों में एकल परिवार का चलन बढ़ गया है। रोजगार की तलाश में शहर को पलायन होता है। इससे परिवार टूटकर एकल हो जाते है। इसलिए संयुक्त परिवार से ही एकल परिवार बनता है। कुछ लोग मजबूरी में और कुछ जानबूझकर परिवार से अलग हो जाते है।

संयुक्त परिवार में सभी सदस्य मिलजुलकर रहते है। इस प्रकार के परिवार में दादा – दादी, माता – पिता, चाचा – चाची, भाई, बहिन सभी एक ही छत के नीचे रहते है। संयुक्त परिवार भारतीय संस्कृति की एक पहचान है। दादा – दादी से लेकर पोते – पोती तक के तीन पीढ़ी सदस्य संयुक्त परिवार बनाकर रहते है। वैसे दुनिया में कुछ ऐसे भी परिवार मौजूद है जिनमें चार या पांच पीढ़ी के सदस्य रहते है।

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जानिए संयुक्त परिवार के फायदे

  • संयुक्त परिवार में एकता रहती है, मुसीबत के वक्त सभी लोग एक दूसरे की मदद करते है। इससे सुरक्षा का अनुभव रहता है।
  • बच्चों की परवरिश संयुक्त परिवार में बेहतर होती है। घर में बड़े बुजुर्ग होने से बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते है। एकल परिवार में बच्चों का ध्यान सही से नही रह पाता है।
  • बड़े बुजुर्गों का मार्गदर्शन संयुक्त परिवार में ही सम्भव है। बच्चों को ज्ञानवर्धक कहानियां उसके उनके दादा – दादी ही सुनाते है। बच्चों में सर्वगुणों का विकास संयुक्त परिवार में ही होता है।
  • संयुक्त परिवार में बुजुर्गों की सेवा होती है। व्यक्ति अपने परिवार की देखरेख में रहता है। विकट परिस्थितियों में भी परिवार में अन्य लोगो का सहयोग मिलता है।

वैसे दोस्तों संयुक्त परिवार की कुछ हानियां भी होती है। साधारण सी बात है कि परिवार में ज्यादा सदस्य होंगे तो मनमुटाव और लड़ाई होने की संभावना भी ज्यादा होगी। एकल परिवार में मनमुटाव होने की संभावना कम होती है। पहले के जमाने में लोग ज्यादा बच्चें पैदा करते थे। इसलिए परिवार में सदस्य अधिक संख्या में होते थे। गांवों में अक्सर इस तरह के बड़े परिवार देखने को मिल जाते है। आजकल परिवार छोटा होता है क्योंकि वर्तमान में भरण पोषण करना आसान नही है। शहरों में एकल परिवार का चलन है।

परिवार का महत्व – Importance Of Family Essay In Hindi

परिवार (Family) में प्यार और झगड़ा होता रहता है। आपसी मनमुटाव के बाद भी परिवार एक हो जाता है। अगर रिश्तों के बीच कभी भी दरार आती है तो परिवार के लोग आपस में मिलकर दरार मिटा देते है। बड़ो की इज्जत और छोटो से स्नेह ही आदर्श परिवार का आधार है। औरत अपना परिवार छोड़कर पति के परिवार का हिस्सा बनती है।

मनुष्य को एकांतवास पसंद नही है। वह आदिकाल से ही समूह में रहते हुए आया है। इंसान ने परिवार खुद की सुरक्षा के लिए बनाया है। मनुष्य परिवार बनाकर रहता है जहां वह सुरक्षित महसूस करता है। जीवन की कठिनाइयों से मनुष्य को सुरक्षा परिवार में ही मिलती है। आप दुनिया में कही पर भी चले जायें लेकिन जो सुकून परिवार में मिलता है वो कही नही मिलता।

परिवार की मजबूती के लिए रिश्तों में आपसी एकता जरूरी है। बाहरी लोग परिवार को तोड़ने की कोशिश करते है। अगर आपसी विश्वास और एकता होती है, तो परिवार मजबूत रहता है। परिवार में आपसी संवाद भी होना जरूरी है। इससे रिश्तों में पारदर्शिता बनी रहती है।

Conclusion:-

दोस्तों परिवार ही बच्चों की प्रथम पाठशाला है जहां वह ज्ञान अर्जित करता है। परिवार के प्रत्येक सदस्य अपनी जिम्मेदारी सही तरह से निभाते है तो परिवार किसी भी मुसीबत का सामना कर सकता है। रिश्तें ही परिवार की बुनियाद होते है। अगर रिश्तें नही होंगे तो परिवार भी नही होगा।

यह भी पढ़े – 

  • दोस्ती पर निबंध
  • शिक्षा पर निबंध
  • माँ पर निबंध

Note – मेरा परिवार पर निबंध और परिवार का महत्व पर यह आर्टिकल Best Essay On Family In Hindi Language आपको कैसा लगा? यह पोस्ट “Importance Of My Family Essay In Hindi” अच्छी लगी हो तो इसे शेयर भी करे।

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